बहुत दिन से कुछ तलाश कर रहा हूं...
जैसे कुछ खो सा गया है...
कहीं इधर ढूंढता हूं...
कहीं उधर ढूंढता हूं...
कहीं सपनों में देखता हूं...
कहीं अपनों में खोजता हूं...
कहीं धूप में तो...
कहीं छांव में...
कभी दिन में...
तो कभी शाम में...
लेकिन नहीं मिलता मुझे...
बोलो अब कहां ढूंढू इसे...
लगा मुझे कि किसी ने मुझसे चुरा सा लिया है...
या फिर शायद मुझसे कहीं रूठ सा गया है...
जिसके रहने से चेहरे पे एक खुशी सी रहती थी...
गम तो बहुत हैं मगर फिर भी होंटो पे एक हसीं सी रहती थी...
उसके होने से जिंदगी में भी कई रंग सा था...
आस थी जीने की और मन में एक उमंग सा था...
अब कहीं दूर...शायद बहुत चला गया...
काश कोई मुझे बता भी देता...
वो मेरे दिल का #सुकून ही है,
काश आज वो #सुकून कोई लौटा ही देता...
#आशीष #गुप्ता...