लिखने को पूरी क़िताब ही लिख दुँ
क्या करें कलम तुम्हारें नाम पे ही रुक जाती है...
आशीष गुप्ता...
आज टूटा हूँ इस कदर की ख़ुद को ही भूल गया हूँ...
जिस कलम से तेरा नाम लिखना था आज वो कलम ही भूल गया हूँ...
आशीष गुप्ता...
जिंदगी में एक बार मोहब्बत किया खुद से ही मोहब्बत कर बैठा...
मोहब्बत में इतना दर्द मिला की लगा जैसे कोई गुनाह कर बैठा...
मोहब्बत से खुद को इतना दूर कर लिया था कि मोहब्बत मुझे गवारा नही रहा...
तुम्हें जब पहली बार देखा तो यार कसम से फ़िर से मोहब्बत कर बैठा...
आशीष गुप्ता...
हर ख़्वाब हक़ीक़त हो जाए ...ये जरूरी तो नहीं... हर मोहब्बत पूरी हो जाए ...ये जरूरी तो नहीं... हम तुम्हें पसंद करतें हैं ...ये और बात है... त...