Monday, 12 August 2019

कलम

लिखने को पूरी क़िताब ही लिख दुँ
क्या करें कलम तुम्हारें नाम पे ही रुक जाती है... 

आशीष गुप्ता... 

ख़ामोश

तुम भी ख़ामोश हम भी ख़ामोश
लगता है दर्द दोनों तरफ है...

आशीष गुप्ता... 

मै एक खाली किताब हूँ

मै एक खाली किताब हूँ
बस पढ़ने का हुनर तुम में होना चाहिए...

मै अच्छा हूँ या बुरा हूँ
बस ये परखने का हुनर तुझमे होना चाहिए...

आशीष गुप्ता.... 

प्यार

ये प्यार भी कितना #बेवफ़ा है...
कभी #तुमसे हुआ तो कभी #खुद से ही...

Ashish Gupta....

इजहार

दिल की बात जुबान पे लाये तो लाये कैसे...
दिल तुझसे भी बात करना चाहे लेकिन जताये तो जताये कैसे...

आशीष गुप्ता...


मोहब्बत

मैंने हर नशे को आजमाया मगर हर नशा फींका ही निकला...

फिर हमने नशा किया मोहब्बत का कसम से झकझोर दिया...

#आशीष #गुप्ता...

मंज़िल

रास्ता कितना भी कठिन कियुं ना हो
बस मंजिल ख़ूबसूरत होनी चाहिए...
☺️
Ashish Gupta

पहली बार देखा

तुम्हें मैंने कई बार देखा...
लेकिन जब भी देखा तो लगा की पहली बार देखा...
वो नज़रों का धोखा था या आँखों की बदमाशियां...
उस बादल ने भी तुम्हें, बारिश में भीगते पहली बार देखा...

तुम गुज़र गए बगल से हवा के झोंकें की तरह, यूँ हवाओं से इशारा भी मैंने पहली बार देखा...
तुम करीब आ गए मेरे इतना की, रूह भी कपकपा सी गई...
यूं बारिश में पसीना भी, मैंने पहली बार देखा...

लिपटकर तुझसे जब, मेरे होंठों ने तेरे होंठों को छुआ...
तेरे जिश्म से अपनी ख़ुशबू, कसम से पहली बार देखा...
तुम्हारी नशीली आँखों के प्यालों ने, मुझे यूँ झकझोर दिया...
इन आंखों में इतना नशा होगा, ये मैंने पहली बार देखा...

आशीष गुप्ता... 

कामयाबी

मेरे नाम के चर्चे अब हर शहर भी देखेगा...

मेरी कामयाबी की उड़ान एक दिन वो आसमां भी देखेगा...

मेरी शख्सियत मेरी पहचान सबके लिए एक मिशाल बन जाएगी...

देखना वो दिन भी आएगा मेरे दोस्त
जब मुझे सारा हिन्दुस्तान देखेगा...

सबक

आगे और भी काम आएंगे इत्मीनान रखियेगा...
मेरे हिस्से की खुशियों को थोड़ा संभाल के रखियेगा...
अभी वक्त तुम्हारा है आज़मा लो हमें भी...
कल जब दर्द मिलेगा तुम्हे देखना हमारे पास ही आयिएगा...

आशीष गुप्ता... 

ज़िन्दगी

आज टूटा हूँ इस कदर की ख़ुद को ही भूल गया हूँ...
जिस कलम से तेरा नाम लिखना था आज वो कलम ही भूल गया हूँ...

आशीष गुप्ता...

मोहब्बत

जिंदगी में एक बार मोहब्बत किया खुद से ही मोहब्बत कर बैठा...

मोहब्बत में इतना दर्द मिला की लगा जैसे कोई गुनाह कर बैठा...

मोहब्बत से खुद को इतना दूर कर लिया था कि मोहब्बत मुझे गवारा नही रहा...

तुम्हें जब पहली बार देखा तो यार कसम से फ़िर से मोहब्बत कर बैठा...

आशीष गुप्ता...

बरसात




आज मौसम का अंदाज कुछ बदलते देखा है...
कहीं बारिश तो कहीं गीली जमीं को सूखते देखा है...

इसी बारिश में कुछ पक्के मकां को भी बनते देखा है...
इसी बारिश में कुछ कच्चे मकां को भी गिरते देखा है...

इसी बारिश में भी खुद को तेरे साथ भीगते देखा है...
इसी बारिश में भी तुझे खुद से दूर जाते देखा है...

आज बारिश की बूंदों को चोट खाते हुए देखा है...
आज हमने भी उस बादल को रोते हुए देखा है...

आशीष गुप्ता..

हर ख़्वाब हक़ीक़त हो जाए ...ये जरूरी तो नहीं... हर मोहब्बत पूरी हो जाए ...ये जरूरी तो नहीं... हम तुम्हें पसंद करतें हैं ...ये और बात है... त...