Monday, 30 September 2019

किताब...

तुम्हारी याद में आज हमने एक किताब लिख दिया...
एक-एक शब्द से मोहब्बत हो गई, उसमे जब नाम तुम्हारा लिख दिया...

आशीष गुप्ता....

Friday, 20 September 2019

अजनबी...

तुम अजनबी बनकर आए थे और मुझे अपना बना लिया...
देख तेरी मोहब्बत ने फिर से हमें अजनबी बना दिया...

आशीष गुप्ता...

मोहब्बत...

दिल तो नादान था जो मोहब्बत कर बैठा...
अब मोहब्बत करना गर गुनाह है तो ये सजा भी मंजूर है....


आशीष गुप्ता...

मोहब्बत...


लोग कहते हैं की मोहब्बत करने में दर्द है...
अब ये उन्हें कौन समझाए की आजकल...
दर्द को ही हमसे मोहब्बत है...


आशीष गुप्ता...



बहुत ख़ूबसूरत हो तुम...

बहुत ख़ूबसूरत....बहुत ही ख़ूबसूरत हो तुम...
लगे कि जैसे कोई मूरत हो तुम...
बहुत ख़ूबसूरत...बहुत ख़ूबसूरत हो तुम...
आंखें तुम्हारी नशीली सी है...
होंठों पे लाली भी मखमली सी है...
तू आसमानी है तू खुशमिजाजी है...
तू आफताब है तू शबनमी सी है...
जो कह दुं हमारी मोहब्बत हो तुम...
बहुत ख़ूबसूरत....बहुत ही ख़ूबसूरत हो तुम...


आशीष गुप्ता...

चंद्रयान


खुले आसमान में, पूरे ब्रह्मांड में...
सारी दुनिया की निगाहें, हमारे चंद्रयान पे...
सफ़र थोड़ा कठिन था, विश्वास भी अडिग था...
सूर्य की भांति चल पड़े, परेशानियों से परे....
जमीं से लेकर आसमां, आसमां से  चंद्रमा....
पहाड़ को चीरते, ब्रह्मांड को भेदते...
वो बार बार थे गिरे, हम एक ही बार में चले...
आन बान शान से, भारत के चंद्रयान ने...
नाम उज्ज्वल कर दिया, विश्व विजेता बन गया...



आशीष गुप्ता...

मेरा नाम लिख कर देखना....

अपने लफ़्ज की स्याही से...दिल की कलम से... इश्क़ लिखकर देखना...
मोहब्बत को भी मोहब्बत हो जाएगा... मेरा नाम लिखकर देखना...

आशीष गुप्ता...

मोहब्बत...



पहली बार मोहब्बत किया तो शायर बना दिया...
पता नही इस बार मोहब्बत का अंजाम क्या होगा...

आशीष गुप्ता...

Sunday, 1 September 2019

ख़ुद से मोहब्बत...

जिंदगी में एक बार मोहब्बत किया खुद से ही मोहब्बत कर बैठा...

मोहब्बत में इतना दर्द मिला की लगा जैसे कोई गुनाह कर बैठा...

मोहब्बत से खुद को इतना दूर कर लिया था कि मोहब्बत मुझे गवारा...

तुम्हें जब पहली बार देखा तो यार कसम से फ़िर से मोहब्बत कर बैठा...

आशीष गुप्ता...

आज कहीं दूर का सफ़र करते हैं...

चलो आज कहीं बहुत दूर का सफ़र करतें हैं...
ज़मी को छोड़ कर आशमा में सफ़र करतें हैं...
ज़मी पे रहकर आपनों को आज़मा कर देख लिया...
चलों कुछ परिंदों को अब अपना बनाकर देखते हैं...

आशीष गुप्ता...

ख़ूबसूरत लड़की...





तुम्हारी ख़ूबसूरती की बात करूँ तो, मेरे शब्द महक से जाते है...
नाम लिखता हूँ जिस कलम से तुम्हारा, वो कलम भी बहक से जाते हैं...

आँखों की बात करूँ तो... मैं इतना डूब जाता हूँ...
तेरे आशु की दरियाँ में... मैं खुद ही भीग जाता हूँ...

तेरे होंठों की बात करूँ तो... मैं इतना काँप जाता हूँ...
तेरे होंठों को जब छु लू... बर्फ सा पिघल ही जाता हूँ...

तेरे जुल्फों की बात करूँ तो... मैं इतना खो सा जाता हूँ...
बना कर प्यार की तकिया.. गोद में सो ही जाता हूँ...

तेरे पास जब आता हूँ... मै घबरा ही जाता हूं...
आंखें बंद होते ही... मै शरमा सा जाता हूं...

तेरे जिस्म की आगोश में, इस कदर जकड़ ही जाता हूं..
खुद को भूल जाता हूं...और तुझमें खो सा जाता हूं...

आशीष गुप्ता...







हर ख़्वाब हक़ीक़त हो जाए ...ये जरूरी तो नहीं... हर मोहब्बत पूरी हो जाए ...ये जरूरी तो नहीं... हम तुम्हें पसंद करतें हैं ...ये और बात है... त...