Thursday, 17 September 2020
हमसे मोहब्बत कर के देख लेना...
Friday, 4 September 2020
ऑनलाइन इश्क़ या फरेब...
ये मोहब्बत भी ना कहीं भी कैसे भी हो जाता है... किसी को देख कर या किसी को बिना देखे ही... बस कुछ प्यार भारी बातें होती हैं... कुछ जान पहचान बनती हैं... कुछ मुलाकातें होती हैं...और धीरे - धीरे कब इश्क़ हो जाता है...किसी को कुछ पता ही नहीं होता है...
ये इश्क़ सच्चा होता है या फरेब या समझो बस टाइम पास... सबके अपने- अपने तरीके हैं... इश्क़ के इस खेल में कितनों की ज़िन्दगी आबाद हो जाती है तो कितनों कि ज़िन्दगी बर्बाद... क्या करें नशा ही कुछ ऐसा होता है इश्क़ का...जो चढ़ जाए तो उतरने का नाम ही नहीं लेता... ऐसे ही कुछ कहानी है...निशा और जिमी कि....
निशा जिसकी उम्र 23 साल है... और ग्रेजुएशन कर रही है दिल्ली से...कॉलेज में तो बहुत सारे दोस्त हैं... लेकिन वो सारे दोस्तों से बहुत दूर भागती थी... उसे अकेला रहना पसंद है... कुछ सहेलियां थी उसके साथ... मगर लड़का दोस्त कोई नहीं....या वो बनाना ही नहीं चाहती...पढ़ने में भी तेज़ दिमाग़ की... खूबसूरत और मासूम भी...
कॉलेज से घर जाती और घर से कॉलेज... बस ऐसे ही लाइफ थी उसकी...
वो अपने घर में मम्मी पापा के साथ खाना खा रहीं थीं...
अचानक से फेसबुक पे एक notification आता है...मोबाइल में...
पापा - क्या हुआ बेटा किसका मैसेज है...
निशा - कुछ नहीं पापा बाद में देखती हूं...
खाना खाने के बाद वो रूम में जाती है...
फेसबुक पे देखती है एक फ्रेंड रिक्वेस्ट किसी जिमी के नाम का...कोई foreigner लग रहा था... फिलहाल इग्नोर कर देती है...
कुछ देर बाद फिर मैसेज आता है...
हैलो व्हाट्सअप
निशा - Fine but i dont know you
जिमी - Me also
निशा - but Why messaged me
जिमी - just We can be friends
निशा - where r u from ??
जिमी - from india but till now Canada
निशा - ohh
जिमी - और तुम कैसे हो
निशा - तुम्हें हिंदी आती है
जिमी - हां
निशा - thats great ok but only friends
जिमी - thanku
ये तो बस शुरुआत थी दोस्ती की... बहुत सारी बातें होने लगी...दिन - रात एक दूसरे से बातें करना... हसी मज़ाक... रूठना मनाना...सबकुछ दोनों एक दूसरे की काफ़ी फिक्र करते लगे...
निशा को अब एक दोस्त मिल गया था जो अजनबी था लेकिन अब अपना सा लगने लगा...
रोज़ सारे काम जल्दी - जल्दी ख़त्म कर वो जिमी से बातें करती...
रात हो गई थी 10 बज रहे थे...
निशा - hii जिमी कैसे हो तुमने दिन में एक बार भी मैसेज नहीं किया...
जिमी तब ऑफलाइन था...
निशा बार बार फेसबुक चेक करती लेकिन वो ऑफलाइन ही दिखता... जिमी का मैसेज तुरंत ना मिले तो वो परेशान होने लगी... उसकी बैचैनी बढ़ जाती थी....
कुछ देर बाद...
ज़िमी - hii मैं अच्छा हूं...तुम कैसे हो...ओह Sorry यार ऑफ़िस में ज्यादा काम आ गया था...
निशा - कितने देर बाद तुमने reply किया मैं तो डर गई थी क्या हो गया...
जिमी - और क्या हो रहा है...
निशा - कुछ नहीं बस तुम्हें याद कर रहे थे...
जिमी - how sweet मैं भी तुम्हें याद कर रहा था...
i miss u...
निशा - I miss u more तुम इंडिया कब आओगे...
जिमी - जल्द ही यार ऑफिस से छुट्टी लेकर जल्दी ही आऊंगा और तुमसे सबसे पहले मिलूंगा...
निशा - सच्ची
जिमी - trust me
निशा - मैं कब से तुम्हारा इंतजार कर रही हूं...
जिमी अपनी फोटो भेजता है...
निशा - ohh कितना हैंडसम लग रहे हो स्मार्ट बॉय...
जिमी - thanku बॉस...
निशा भी अपनी पिक क्लिक करती है और भेजती है...
जिमी - Waoo so beautifull dear बहुत ही ख़ूबसूरत लग थी हो...
निशा - लेकिन तुमसे कम हुं...
जिमी - और भेजो ना... मैं सारा काम छोड़कर बस तुम्हें देखना चाहता हूं...
निशा - मैं कल भेजती हूं...जा रही हूं सोने...कल सुबह जल्दी उठना है....
जिमी - ok bye
ये दोस्ती अब एक अनदेखा प्यार की तरफ तूफ़ान की तरह ही बढ़ता जा रहा था... जिसको रोकना बहुत ही मुश्किल था...निशा के घर वाले भी इस बात से अनजान थे...
निशा के चेहरे पे जिमी के प्रति मोहब्बत साफ साफ दिख रही थी... वो उसके फोटो को दिनभर देखते रहती और देखकर मुस्कुराती रहती...
क्या कभी किसी अजनबी से इस तरह से प्यार करना चाहिए.... जिसे हम जानते भी ना हो... कभी मिले भी ना हो... लेकिन कहते हैं ना...
इश्क़ जब परवान चढ़ता है तो...
सुनामी भी उसे नहीं रोक सकती...
जिमी का दिनभर में 5-6 बार तो मैसेज आता ही था...निशा के घर वाले भी कुछ शक कर गए थे कि निशा आजकल कुछ ज्यादा ही busy तो नहीं हो गई... दिन भर मोबाइल में लगी रहती है... अब ठीक से बात भी नहीं करती...
रात को 9 बजे...
निशा - ओह hii जिमी कैसे हो मैं आज बहुत काम कर ली कॉलेज का इसलिए reply नहीं कर पाई...
जिमी - अरे कोई बात नहीं कॉलेज कैसा चल रहा है....
निशा - अच्छा चल रहा है सुनो...
जिमी - हां बोलो...
निशा - मुझे तुम दिन भर याद आते हो... मैं तुम्हारे बारे में ही सोचती रहती हूं... कहीं मुझे प्यार तो नहीं हो गया...
जिमी - मुझे भी ऐसा ही एहसास होता है लेकिन बस कभी कह नहीं पाया कि कहीं तुम बुरा ना मान जाओ...
निशा - सच में तुम्हें भी प्यार है मुझसे...
जिमी - हां सच में ... मैं सोचता हूं कब इंडिया आऊंगा और तुमसे मिलूंगा...
निशा - जल्दी आओ यार मैंने तो अभी किसी को बताया भी नहीं तुम्हारे बारे में...तुम आओगे तो मिलकर बताएंगे...
जिमी - sure और आज फोटो नहीं भेजोगी...
निशा - कैसी पिक देखनी है...
जिमी - जैसा तुम दिखा दो.... हॉट लड़की...
निशा - बेशरम ठीक है....
वो अपनी फोटो भेजती है कुछ कपड़े उतार के....
जिमी - ओह कितनी ख़ूबसूरत लग रही हो तुम... मेरा तो मन कर रहा है अभी आ जाऊं तुमसे मिलने...
निशा - आ जाओ
जिमी - और भेजो ना i want to see u without clothes जिसमें बस तुम हो...
निशा - नहीं यार मुझे शरम आ रही है...
जिमी - मुझसे क्या शर्माना मैं डिलीट कर दूंगा...
निशा - ठीक है...
वो अपने सारे कपड़े उतार के बहुत सारी पिक भेजती है...
निशा - यार डिलीट कर देना please...
जिमी - हां यार डिलीट कर दूंगा...लेकिन तुम इतनी ख़ूबसूरत लग थी हो मेरी नज़र तो तुमसे हट ही ना रही...
निशा - अच्छा एक और भेजती हूं ये देखो...
जिमी - उफ्फ fire...
कुछ देर बात चीत होती है...
निशा ने अपने मोबाइल से सारी पिक डिलीट कर देती है...
निशा ने जो इश्क़ का रास्ता चुना था... उसे लग रहा था वहीं उसकी मंजिल है...लेकिन वो रास्ता मंजिल तक ही जाती है ये कोई नहीं जानता...वो तो बस डूबना चाहती थी उसके प्यार में...
दूसरे दिन....
निशा खाना खा रही होती थी मम्मी पापा के साथ...
निशा हाथ धोने के लिए किचन में जाती है और मोबाइल वहीं छोड़ देती है...तभी जिमी का मैसेज आता है...
निशा के पापा मोबाइल उठाते है देखते हैं....
ये जिमी कौन है....
मैसेज ओपन करते हैं...और सारे मैसेज पढ़ लेते हैं...
उन्हें भनक पड़ जाती है कि ये जो भी है गलत है....
निशा आती है... मोबाइल लेती है...
उसके पापा - निशा सुनो ये जिमी कौन है....
निशा - पापा मेरा दोस्त है क्यों क्या हुआ...
पापा - बेटा मुझे ये कुछ ठीक नहीं लग रहा क्या करता है... कहां रहता है..कुछ नहीं पता और तुम इसे दोस्त मानती हो...
निशा - पापा मुझे पूरा विश्वास है उसपर वो इंडिया आएगा तो मिलेगा मुझसे फिर मिला दूंगी...और आपने मेरे मैसेज पढ़ लिए....
पापा - नहीं आज के बाद तुम इससे बात नहीं करोगी बस...
निशा - पापा मैं छोटी बच्ची नहीं हूं जो हर समय... मैं आपसे पूछ कर कोई फैसला लूंगी... मैं अब बड़ी हो गई हूं...मुझे अच्छे बुरे का फर्क मालूम है...
मम्मी - निशा तुम कैसे बात कर रही हो अपने पापा से माफ़ी मांगो...
निशा - नहीं मैं जा रही हूं कॉलेज...
इश्क़ के इस खेल में कब अपने पराए और पराया अपना हो गया... जो इंसान अपनी बेटी को इतना पढ़ाया लिखाया... जिसने अपनी बेटी की हर ख्वाहिशें पूरी करने के लिए अपनी सारी ख्वाहिशें अधूरी कर ली... आज वहीं मां बाप अपने बेटी के आगे बेबस हो गए.... एक वो लड़का जिसके बारे में इसे कुछ भी पता नहीं उसके लिए अपने मां बाप से लड़ गई... ये कैसा इश्क़ है...
शाम को निशा घर आती है...खाना खाती है....और अपने रूम में जाकर दरवाजा बंद कर लेती है... माता पिता करे भी तो क्या करें... क्योंकि उनकी बेटी उनसे भी ज्यादा समझदार हो गई थी....
इधर जिमी का मैसेज आता है...
हैलो निशा कैसे हो...
निशा - ठीक नहीं हूं यार...
जिमी - क्या हुआ कोई परेशानी...
निशा - कुछ नहीं मम्मी पापा हम दोनों के बारे में जान गए हैं... और तुमसे बात करने के लिए मना कर रहे हैं....
जिमी - ओह वो सही कह रहे हैैं... हमें बात करना बंद कर देना चाहिए... जब मैं इंडिया आऊंगा तब तुमसे बात करूंगा... तब उनको यकीन हो जाएगा...
निशा - नहीं यार हम बात करेंगे ...मुझे किसी की नहीं सुननी...तुम बताओ क्या चाल रहा है...
जिमी - कुछ नहीं यार थोड़ी प्रॉब्लम है.. छोड़ो और बताओ तुम...
निशा - क्या समस्या है वो बताओ...
जिमी - नहीं वो मैं हैंडल कर लूंगा कोई खास नहीं...
निशा - तुम्हें मेरी कसम पहले बताओ...
जिमी - यार मैंने घर ले रखा है...बैंक से लोन लेकर अगले महीने मुझे 5 लाख जमा करने हैं...नहीं तो वो किसी और को दे देंगे...कंपनी से मैंने पहले ही बहुत सारे पैसे ले चुका हूं... मैंने घर बोल दिया है...वो कर देंगे तुम परेशान मत हो...
निशा - इतनी सी बात के लिए तुम परेशान हो रहे थे... मैं तुम्हारी कुछ मदद करूं...
जिमी - अरे नहीं यार वो मैनेज हो जाएगा... पैसे की कोई दिक्कत नहीं है...घर वाले भेज देंगे उनके पास कैश है... बैंक में जमा कर के भेज देंगे... परेशान होने की जरूरत नहीं तुम्हें....
निशा - इसमें परेशान होने की क्या बात... मैं कुछ मैनेज करती हूं... जब तुम्हारे घर वाले भेज देंगे तो... तुम मुझे ट्रांसफर कर देना बस...
जिमी - तुम इतना पैसा कहां से लाओगे यार और रहने दो घर वाले ऐसे ही नाराज़ है... वो और हो जाएंगे...
निशा - मेरे पास कुछ है नहीं तो करती हूं मैनेज तुम परेशान मत हो...
जिमी - तुम कितनी अच्छी हो यार i love you so much dear...
निशा - i love you to मेरे जिमी...
जिमी - और हां मैंने तुम्हारे लिए एक सरप्राइज रखा है...
निशा - क्या???
जिमी - आकर दूंगा...नहीं तो सरप्राइज नहीं रहेगा...
निशा - ठीक है बाबा...
दूसरे दिन....
निशा - पापा चाय पी लो मैंने आपके लिए खास अदरक वाली बनाई है...
पापा - वाह क्या बात है और सब ठीक चल रहा है...
निशा - हां पापा सब ठीक है बस वो फीस जमा करनी है कॉलेज की...
पापा - कितना
निशा - 3 लाख रुपए
पापा - लेकिन इतनी जल्दी क्यों अभी तो कुछ महीने ही जमा किए थे...
निशा - पापा next सेमेस्टर का एडवांस ले रहें हैं... इसलिए...
पापा - अच्छा ठीक है मैं देखता हूं...
निशा - thanku पापा...
निशा के पापा रिटायर हो चुके थे...उनके पास इतने पैसे कहां है...फीस भी जमा करना जरूरी है... नहीं तो बेटी पढ़ नहीं पाएगी... पापा को इसी बात की परेशानी खाई जा रही थी...
और निशा सारे परेशानी से परे अपने प्यार के चक्कर में गलत सही का कुछ भी मतलब नहीं समझ पा रही थी... क्यूंकि वो एक अजनबी से इश्क़ जो कर बैठी थी...
क्या इश्क़ इतना जरूरी होता है... जिसमें इंसान इतना अंधा हो जाता है कि उसे बस इश्क़ के सिवा कुछ दिखाई नहीं देता... इस इश्क़ की आग में कितने लोग जलने वाले थे... किसी को कुछ भी पता नहीं था...
उधर निशा के पापा पैसे के इंतज़ाम में दरबदर भटक रहे थें... कहीं बैंक का चक्कर तो कहीं किसी से उधार लेकर...उन्होंने अपनी पत्नी के सारे गहने ही गिरवी रख दिए... क्योंकि निशा की पढ़ाई ज्यादा जरूरी थी....
और इधर निशा जिमी के द्वारा दिखाए गए सपनों को हक़ीक़त होने का ख्वाब देख रही थी... जो हक़ीक़त होगा की एक ख़्वाब ही रहेगा... ये तो आगे पता लगेगा...
फिलहाल निशा अपनी शादी की एफडी तोड़ कर दो लाख बैंक से निकाल लेती है...और घर में किसी से नहीं कहती...
निशा के पापा ने निशा को तीन लाख दे दिए और बोले बेटा फीस जमा कर दो और पढ़ाई अच्छे से करना....
निशा - thanku पापा...
रात को निशा जिमी से बात करती है...
hii कैसे हो...
जिमी भी निशा के मैसेज का बेसब्री से इंतजार कर रहा था...
जिमी - निशा कैसे हो हम अच्छे हैं...
निशा - बहुत अच्छी हूं....
जिमी - बहुत खुश नजर आ रही हो क्या बात है...
निशा - हां पूछो क्यों...
जिमी - क्यों
निशा - मैंने तुम्हारे लिए पांच लाख रुपए इकट्ठे कर ली हूं...
जिमी - ओह निशा thanku so much यार मैं तुम्हारी किस तरह से शुक्रिया अदा करूं...
निशा - अरे कोई बात नहीं...मैं तुम्हारे लिए इतना नहीं कर सकती क्या... इतना भी हक नहीं तुम पर...
जिमी - तुम्हारा पूरा हक़ है मेरे पे... मैं तुम्हें बहुत जल्द ही पैसे वापस कर दूंगा...
निशा - लेकिन मैं भेजूंगी कैसे...
जिमी - मैं अपने दोस्त का अकाउंट देता हूं...तुम उस पर भेज देना.. मेरे अकाउंट में अभी कुछ प्रॉब्लम चल रही है...
निशा - अच्छा ठीक है...तुम उसका अकाउंट भेज दो...मैं तुम्हें कल ट्रांसफर करती हूं बैंक से...
जिमी ने अपने दोस्त का अकाउंट नंबर भेज दिया...
जिमी के प्यार के इस खेल में निशा पूरी तरह से पागल हो गई हो थी... उसका ये कदम उसके ज़िन्दगी में क्या शैलाब लाने वाला था... वो इस बात से अनजान थी...अब तो बस ये समझ में आता है कि वाकई इश्क़ एक पागलपन है... जो इंसान को इतना कमज़ोर बना देता है कि...वो क्या कर रही है... उसे क्या करना चाहिए... कुछ भी समझ में नहीं आता है...समझ में आता है तो बस...प्यार...मोहब्बत और इश्क़...इश्क़ के इस जुएं में हार होगी या जीत ये तो आगे ही पता चलेगा... जिसमें उसके परिवार और माता पिता का विश्वास सब कुछ दाव पे लगा है....
निशा बैंक जाती है...
वो बैंक में फॉर्म भर रही थी... पूरा फॉर्म भर लिया...पैसे भी गिन लिए...लम्बी लाइन लगी थी बस इंतजार था अपनी बारी का....
धीरे धीरे लाइन आगे बढ़ती है...उसका नंबर आ ही गया था.... कि अचानक उसकी नज़र बगल में बैठी एक लड़की पे पड़ती है...जो बहुत ही उदास और रोए जा रही थी... चिल्ला रही थी कि मेरे पैसे वापस करो.... निशा लाइन से हटकर उस लड़की के पास जाती है और उससे पूछती है...
क्या हुआ रो क्यों रही हो...
वो लड़की बस रोए जा रही थी....
निशा ने फिर पूछा क्या हुआ... तुम्हारे पैसे कहां चले गए...
लड़की बोलती है....मैंने एक अनजान लड़के से दोस्ती कर ली थी... उसके बारे कुछ मालूम नहीं था... उसने मुझसे पैसे मांगे और बोला कि मैं वापस कर दूंगा... और मैंने उसे दोस्त समझ कर ट्रांसफर कर दिया... तब से उसने अपना नंबर और सबकुछ बंद कर रखा है... मैंने बैंक से पूछा तो बोले की कोई डिटेल नहीं मिल पाएगी... अब बताओ मैं क्या करूं... मैं अपने मम्मी पापा से क्या बोलूंगी....
तुरंत निशा shoked हो जाती है...वो डर जाती है ....कि मैं ये क्या करने जा रही थी... कहीं मेरे साथ भी तो ऐसा नहीं हो गया हो...उसने तुरंत जिमी को मैसेज किया...
जिमी - अपना नंबर दो...
जिमी - क्या हुआ अचानक नंबर...
निशा - तुम क्या करते हो कहां रहते हो मुझे पूरा डिटेल पहले बताओ...
जिमी - बताता हूं...तुमने पैसे भेज दिए क्या... मैं ऑफिस में हूं... बात करता हूं....
निशा कुछ देर सोचती है...
ओक wait करती हूं...
कुछ देर बाद उसका मैसेज आता है...
जिमी - हां बोलो...
निशा - अपने बारे में तो बताओ...
जिमी - तुम्हें मुझ पर विश्वास नहीं है क्या...
निशा शक हो जाता है कि वो ग़लत कदम उठाने जा रही थी...
लेकिन उसने जिमी से कुछ नहीं बताया... बस वो भी उदास होकर बैंक से जा ही रही थी कि अचानक... बैंक में उसके पापा के दोस्त मिल जाते हैं...
hii निशा बेटी यहां कहां...
निशा - कुछ नहीं बस ऐसे ही कुछ काम से अाई थी...
पापा के दोस्त - बेटा फीस जमा कर दिया तुमने...
निशा - आपको कैसे मालूम फीस के बारे में...
पापा के दोस्त - वो तुम्हारे पापा आए थे बैंक में... पैसे की ज़रूरत थी... उनके पास कुछ था नहीं तो वो तुम्हारी मां के गहने यही गिरवी रख कर तीन लाख रुपए लेकर गए....तुम्हारी फीस जमा करने के लिए...
निशा ये सुनकर फफक कर रो पड़ती है... और सीधे अपने घर जाती है....और पापा को गले लगाकर रोने लगती है...
पापा - क्या हुआ बेटा...
निशा नज़र ही नहीं मिला पा रही थी अपने पापा से...
पापा - बताओ रो क्यों रही हो...तुम्हें और पैसे की जरूरत है क्या...
निशा - और जोर से रोने लगती है...और अपने पापा को सबकुछ सच सच बता देती है...
निशा - पापा मुझे माफ़ कर दो... मैंने आपकी बात ना सुनी और आप पर ही चिल्ला उठी...
पापा - कोई नहीं बेटा खुशी इस बात की है कि तुम्हारे गलत कदम उठाने से पहले तुम हक़ीक़त को जान गई...
निशा ने जिमी से कुछ नहीं बताया था और जिमी इतंजार कर रहा था कि कब निशा पैसे ट्रांसफर करेगी...
निशा और उसके पापा पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करते हैं...और सारा वाकैया पुलिस को बताते हैं...और पुलिस साइबर सैल कि मदद से जिमी नाम की आईडी का लोकेशन पता कर उसे गिरफ्तार कर लेतें हैं... और उसके मोबाइल से निशा के सारे पिक डिलीट कर उस मोबाइल को भी रख लेटें हैं...
बाद में जब निशा उस लड़के से मिलती है तो वो shoked हो जाती है...क्योंकि वो जिमी नाम का लड़का कोई और नहीं बल्कि उसी के कॉलेज में उसी के साथ पढ़ने वाला राहुल था... जो निशा को पसंद करता था... और निशा ने उसे मना कर दिया था और प्रपोजल को रिजेक्ट कर दिया था.... जिसे निशा ने कुछ महीने पहले प्रिंसिपल से शिकायत कर उसे सस्पेंड करवाया था...राहुल उसी का बदला लेने के लिए जिमी बनकर उससे बात कर रहा था...जो अब सारी हकीक़त सामने आ गई थी...और पुलिस उसे गिरफ्तार कर लेती है...
इन सब कहानी में तो एक बात समझ में आ ही जाती है कि ऑनलाइन इश्क़ कोई इश्क़ नहीं बल्कि फरेब है... आज कल बहुत सारे ऐसे किस्से सुनने को मिलते हैं... लेकिन हम जागेंगे कब... ऑनलाइन इश्क़ के इस खेल में हमेशा लड़की ही शिकार नहीं होती है...लड़के भी इस जाल में फस जाते हैं... इसलिए हमें हमेशा सतर्क रहना चाहिए और जब भी ऐसे कोई बात हो तो अपने दोस्त या घर परिवार से हमेशा सलाह लेनी चाहिए...माता पिता कोई दुश्मन थोड़ी ना होते है...वो भी हमारी ख़ुशी ही चाहते हैं...
हमारे अंदर कितनी भी काबिलियत क्यों ना हो लेकिन माता पिता के आगे वो नाकाबिल ही होता है...
ऐसे कदम उठाने से पहले हर किसी को एक बार सोचना जरूर चाहिए क्योंकि....
ये ऑनलाइन इश्क़ नहीं फरेब है.....
आशीष गुप्ता...
हर ख़्वाब हक़ीक़त हो जाए ...ये जरूरी तो नहीं... हर मोहब्बत पूरी हो जाए ...ये जरूरी तो नहीं... हम तुम्हें पसंद करतें हैं ...ये और बात है... त...
-
मत सोचो इतना कि हर पल ख़्याल मेरा ही आए... नाम किसी और का लो और नाम मेरा ही आए... आशीष
-
तुम्हारे होंठों की चुस्की किसी चाय से कम नही... जितना धीरे–धीरे पियो मजा उतना ही ज्यादा ... आशीष गुप्ता....
-
तेरे इश्क़ में आज मै इस कदर डूब गया हूं... तुझे देखते ही लगा मै ख़ुद को ही भूल गया हूं... तेरे ही दिल में रहने की आदत जो मुझे लगी इस कदर.......