ये दिसम्बर का महीना भी कितना यादगार होता है...
जनवरी से लेकर नवंबर तक के सारी यादों का हिसाब होता है...
अगर अच्छा हुआ तो, साल खुशनुमा हो जाता है...
अगर बुरा गया तो, ये साल भी बुरे दिनों के परवान चढ़ जाता...
कितनों की मोहब्बत, आबाद हो जाती है तो...
कितनों की मोहब्बत, बर्बाद हो जाती है...
कितनों के सपने साकार हो जाते हैं...
तो कितनों के सपने आखिर टूट ही जाते हैं...
फिर इतंजार करते हैं हम...इस नए साल का...
ज़िन्दगी जीने के एक नए आगाज़ का...
इस साल कुछ नया करने का आस होता है...
या इस साल कुछ अच्छा करने का खुद पर विश्वास होता है...
फिर नए दोस्त होंगे...नया प्यार होगा...
नई ज़िंदगी होगी...और नई ज़िंदगी जीने का खुमार होगा...
जनवरी से लेकर नवंबर तक के सारी यादों का हिसाब होता है...
अगर अच्छा हुआ तो, साल खुशनुमा हो जाता है...
अगर बुरा गया तो, ये साल भी बुरे दिनों के परवान चढ़ जाता...
कितनों की मोहब्बत, आबाद हो जाती है तो...
कितनों की मोहब्बत, बर्बाद हो जाती है...
कितनों के सपने साकार हो जाते हैं...
तो कितनों के सपने आखिर टूट ही जाते हैं...
फिर इतंजार करते हैं हम...इस नए साल का...
ज़िन्दगी जीने के एक नए आगाज़ का...
इस साल कुछ नया करने का आस होता है...
या इस साल कुछ अच्छा करने का खुद पर विश्वास होता है...
फिर नए दोस्त होंगे...नया प्यार होगा...
नई ज़िंदगी होगी...और नई ज़िंदगी जीने का खुमार होगा...
आशीष गुप्ता...
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