Saturday, 15 June 2019

ज़िन्दगी से मोहब्बत और एक अधूरी सी दास्तां





(PART 01)


कभी सोचा नहीं था कि मुझ जैसे लड़के को भी प्यार हो जाएगा...
ये प्यार शब्द भी मुझे बड़ा मज़ाक सा लगता था, फालतू की चीजें, टाइम खराब करना वगैरा-वगैरा...

अपनी ज़िन्दगी शान से जीने वाला इंसान था, ना कोई टेंशन, ना कोई लफड़ा...

लेकिन वो कहते हैं ना...

जब समंदर की लहरें शांत होती है तो कहीं ना कहीं से तूफ़ान आ ही जाता है...
वहीं तूफ़ान मेरी ज़िन्दगी में भी आ ही गया था...

हां मुझे प्यार हो गया था...

मै नोएडा में जॉब करता था... मीडिया लाइन में..
वीडियो एडिटर... Creative काम करने में बड़ा माहिर था... अपने काम और अपने behaviour से ही मेरी पहचान बनती थी...
4 महीने काफी मेहनत और मसक्कत के बाद...मेरी सैलरी लगी वो भी 4 हज़ार...... हद है...
मेरी मेहनत की कीमत 4 हज़ार बस...

काम इतना करवाते थे कि...
Mouse, keyboard, Monitor सब बोलते थे... कि भाई अब तो छोड़ दे... कितनी लेगा मेरी... कुछ देर आराम तो करने दो...

अपना भी हिसाब तय हो गया था... जब तक ये सैलरी बढ़ाने का नाटक करते रहेंगे... तब तक हम काम करने का भी नाटक करते रहेंगे....अखिरकर ये जॉब मैंने छोड़ दी...

फिर दूसरी जॉब की तलाश में निकल पड़ते हैं...

मीडिया लाइन में आप काम करते हैं तो दोस्तों से पहचान बनाना बहुत जरूरी है... कब ये साले काम आ जाए कुछ भी पता नहीं...
फिर मैंने अपने दोस्त आदित्य से बात की और जा पहुंचा... मोहब्बत की नगरी आगरा शहर में... जहां का ताजमहल बड़ा मशहूर है...
शाहजहां ने भी अपनी मोहब्बत के लिए इतना बड़ा ताज जो बनवा दिया था, इतनी मेहनत कौन करता है भाई...

सारे देवदास वहीं ताजमहल पर ही आशिक़ी का इज़हार करते दिख जाते हैं...

आगरा शहर अच्छा था... लोगों का रहन सहन बहुत अच्छा था...

आखिर कर जॉब लग गई... जिनवाणी चैनल में... धार्मिक चैनल था....

कुछ दिन बीता... कुछ जान पहचान बनी... नए दोस्त बने... सब कुछ मस्त चल रहा था...
दिन की तरह... हर शाम की तरह... ज़िन्दगी से प्यार हो गया था...

घूमना, फिरना, मौज मस्ती करना....
दूसरों की शादी में बिन बुलाए खाना खाने पहुंच जाना...
खाली लिफाफा देना कभी नहीं भूला...

एक दिन ऑफिस में काम कर ही रहा था कि अचानक मेरी नज़र अपने ही चैनल में पड़ती है ...कुछ भजन चल रहा था...
दोपहर का समय था...एक लड़की भजन गा रही थी...
मैंने volume बढ़ाया...आवाज़ इतनी प्यारी थी कि मै सुन कर खो सा गया...

लड़की सामने हो और लड़के को सबसे पहले उसकी आंखें पसंद ना आए ऐसा कहां हो सकता है...

मुझे भी उसकी बटन सी आंखे बहुत पसंद आयी...
वो कहते हैं ना...

तैरना तो आता था मुझे इतना कि दरिया भी पार कर जाऊं...
पर तेरी आंखों में जो डूबा तो डूबता ही चला गया, डूबता ही चला गया...

होंठ उसके इतने प्यारे जैसे ओंस की बूंद... मन किया की पी जाऊं...

मैंने भी नाम पता कर लिया...
संजू था उसका नाम...

जो मेरे दिलो दिमाग में बस गई थी... उस देख कर मुझे क्या हुआ... मुझे खुद ही पता नहीं चला...दिल में दस्तक दे गई थी वो लड़की...वो ख़ूबसूरत सी लड़की...

कुछ दिन बीत गया सोचने में ही...

दिल में कश्मकश था कि वो कैसे मिलेगी...कहां काम करती है... दोस्ती कैसे होगी...
मुझे तो ये भी नहीं मालूम था कि वो मेरे ऑफिस में ही काम करती है...

एक दिन अचानक से कोई आता है हाथ में सिंगर्स की लिस्ट होती है .... और मेरे बगल में ही रख कर वो सर से बात करने लगता है...
अचानक से मेरी नज़र उस लिस्ट में पड़ती है...

अरे संजू ये तो वही लड़की है...
नाम के आगे मोबाइल नंबर भी लिखा था...बस एक बार उस नंबर को पढ़ा ही था कि लिस्ट वाले भाई साहब ने लिस्ट आराम से उठा कर चलते बने.... मूड तो ऐसा खराब हुआ कि बोल दूं...अबे सुन नंबर तो बताते जा कमीने...लेकिन बोल कहां पाता... सर ही थे मेरे....

कहते हैं ना जब दिल से किसी की तलाश करो तो पूरी कायनात मिल जाती है...
एक बार में ही नंबर याद हो गया...

फिर क्या रात को डरते-डरते एक मैसेज चेप दिया... Nokia 1100 के मोबाइल से...तब android का जमाना नहीं था... व्हाट्सअप भी नहीं आया था....

डर भी था कि reply आएगा भी... की नहीं...
फिर क्या reply आता है...

who r u ?

I am shoked
कुछ देर सोचने के बाद
फिर Reply किया

sorry
गलती से massage चला गया... बुरा लगे तो माफ़ करना...

फिर उसका reply आता है...

अरे नहीं बहुत ही अच्छा massage था... sorry की कोई बात नहीं...

लेकिन तुम हो कौन...नाम तो बता दो...क्या मै तुम्हें जानती हूं ?

मैंने असली नाम नहीं बताया... घर का नाम बता दिया...
रिंकू लखनऊ में रहता हूं...

आशीष नाम बोल देता तो बवाल हो जाता... एक ही ऑफिस में काम करते हैं... मालूम पड़ जाता तो व्हाट लग जाती....

फिर क्या बातों का सिलसिला चालू हो गया...
क्या दिन...क्या रात...
वो मुझे मैसेज करती... मै उसे मैसेज करता...

मै भी एक शायर हुं...कविता लिखने का मुझे बड़ा सौख है...
उसे रोज़ नई नई कविता लिखकर भेजता और वो पढ़कर खूब तारीफ़ करती...

ऑफिस में देखता ही रहता उसे...लेकिन वो मुझे नहीं जानती थी...उसके बगल से गुजर जाता...और उसे मालूम ही ना पड़ता...
बार बार उसके रिकॉर्डिंग कमरे में चला जाता...उसके सारे गाने मै ही एडिट करता था...

उसके गाने सुन सुन कर मै खो सा जाता था...मेरे आस-पास बस वही लड़की घूमती रहती...परछाई की तरह... लेकिन उसे कुछ भी पता नहीं था मेरे बारे में...उसी के पास से मैसेज करता वो reply भी करती... लेकिन वो जिस लड़के से बात करती है वो लड़का उसी के ऑफिस में ... उसी के बगल में रहता है... वो लड़की इस बात से अनजान थी....

दोस्ती इतनी गहरी हो गई थी कि... बिना बात किए एक दूसरे से मानो पूरा दिन अधूरा-अधूरा सा लगता था...

क्या दिन.... क्या रात... क्या दोपहर... क्या शाम...

मैंने उससे अब तक जितनी भी बातें जाननी चाही उसने सब कुछ मुझे सच-सच बता दिया था...फिर मै भी सोच में पड़ गया था... कि आखिर कब तक मै इस लड़की से झूट बोलता रहूंगा...
मै इतना धोका नहीं दे सकता... मेरा दिल गवारा ही नहीं किया...

आखिर मैंने सब कुछ सच सच बताने का फ़ैसला कर ही लिया...

मैंने सारी बातें... कैसे मिली... अपना नाम...कहां देखा...नंबर...एक ही ऑफिस में काम करना...सब कुछ मैसेज में टाइप किया और send कर दिया....

मै डर गया था... दिल में धड़कन कि रफ़्तार बहुत तेज़ हो गई थी...
सोचा क्या रिएक्शन होगा उसका...
कहीं ऑफिस में सबसे बोल ना दे...बड़ी बेइज्जती हो जाएगी...
इसी ख्याल में बस reply का इंतजार करता रहा...

अचानक से reply आता है...

डर इतना गया था कि मैसेज देखने की हिम्मत ही ना जुटा पाया...और वो मैसेज पे मैसेज किए जा रही थी...

आखिर मैंने massage open कर ही लिया...

आशीष तुमने सच बता दिया... मुझे बहुत अच्छा लगा यार...और मेरी हसीं रुक ही ना रही...तुम मेरे पास... मेरे ऑफिस में ही काम करते हो...वह लड़के...तू बहुत अच्छा है रे... इतना मत डरा कर तू...

इतना पढ़ कर दिल को इतना सुकून मिला कि मानो सारी परेशानी ही दूर हो गई....

फिर क्या बातों का सिलसिला मुलाकातों का सिलसिला चल उठा....

पूरी रात बात करते... एक दूसरे की ज़िंदगी का हाल जानते... बात करते करते कब हम अजनबी से अपने बन गए मालूम ही ना पड़ा...वो कहते हैं ना....

कियुं कभी कोई दिल पास आ जाता है...
कैसे कभी एक अजनबी से रिश्ता जुड़ जाता है...
रिश्ता भी इतना गहरा कि वो दिल में बस जाता है...
और वो अजनबी-अजनबी से अपना बन जाता है...

अब दिन आ गया था रोमेंटिक गाने सुनने का...प्यार हो जाए और रोमेंटिक गाने ना सुने.... ऐसा कहां हो सकता है...
लेकिन ये तो एकतरफा प्यार था मेरी तरफ से... उसके दिल में क्या है वो जानना मेरे लिए बहुत जरूरी था...

एक दिन उसे ऑफिस में काम करते हुए बहुत देर हो गई...बरसात भी बहुत तेज़ हो रही थी... और घर जाना भी उसे बहुत जरूरी था... मैंने उससे बोला रुक जाओ संजू... बारिश बंद होते ही चले जाना...लेकिन वो मानने वाली कहां...निकाल गई घर लिए... भीगते हुए...बिजली भी बहुत चमक रही थी.. हवाओं का सुगबुगाहट भी बहुत तेज़ था...

घर पहुंच कर संजू ने मैसेज किया...

आशु मै घर पहुंच गई...आराम से... पूरा भीग गई रे...

मैंने भी बोला... संजू कपड़े बदल लो नहीं तो तबियत खराब हो जाएगी...

कुछ टाइम बीतने के बाद उसका फिर मैसेज आता है...

आशु तेरी याद आ रही है रे...
मुझे तेरी बहुत फिक्र होती है रे...
बारिश की बूंद जैसे जैसे मेरे चेहरे को छू रही थी ऐसा लग रहा था... तू मुझे छू रहा है...तुझे गले लगाने का मन कर रहा है यार...मेरी धड़कन बहुत तेज हो रही है...मुझे प्यार तो नहीं हो गया तुझसे....

ये उसका सवाल था... जिसका जवाब मेरे पास भी नहीं था...

मुझे भी यही एहसास हो रहा था.. बस बयां करना मुश्किल था...
मैंने भी लिख दिया...

सुनो ना...अभी तुम्हारी याद आयी...और बहुत आयी...
अचानक से हवा चली...जैसे मुझसे कुछ कह सी गई...
उसने मुझे छुआ यूं हीं....ऐसा लगा तुमने छुआ यूं हीं...
कुछ एहसास हुआ अभी...थोड़ा महसूस हुआ अभी...
तुम भी याद कर रही हो ना....शायद मुझे याद कर रही हो ना...
मन करता है बात करूं...या थोड़ी मुलाक़ात करू...

ये पढ़कर वो और इमोशनल हो गई और रोने लगी...

मेरा घर उसके घर के पास ही था... दिल किया कि मिलकर ही आ जाते है...लेकिन नहीं में उसे परेशान करना नहीं चाहता था...
पूरी रात एक दूसरे को याद कर के ही बिता दिया था...

सुबह जब बात होती है तो बोलती है....

आशु तू मेरे सपनों में आया था यार... हम दोनों डांस कर रहे थे.... मै गिर गई थी... और तू मुझे कश कर पकड़ रखा था अपनी बाहों में... तुम्हारे साथ होती हूं तो तुझमें ही खों जाती हूं... ओय पागल लड़के....आशु

ये प्यार था कि attraction  कुछ भी पता नहीं....

मुझे लगाव हो गया था उससे... और उसे लगाव हो गया था मुझसे...
हम दोनों एक दूसरे की आदत बन गए थे ... और आदत को आसानी से छोड़ना मुश्किल था... मुझे भी उससे बहुत प्यार हो गया... बस कभी उस प्यार का इजहार नहीं कर पाया...

ये प्यार भी ना किसी नशे से कम नहीं होता... जितना प्यार करो... नशा उतना ही ज्यादा...

उसका जन्मदिन आता है 25 जून को... सोचा कुछ स्पेशल गिफ्ट देते है लेकिन क्या दुं... पूरा दिन सोचने में ही निकल गया... आखिर मैंने रात को उसकी फोटो को स्केच किया...
पेंसिल से बनाया.... इतना अच्छा तो नहीं बन पाया लेकिन हूबहू वहीं लग रही थी... आखिर इतनी मेहनत काम आ ही गई और सबसे पहले उसे wish किया... और वो स्केच उसे भेज दिया...

मेरा मानना था कि पैसों से गिफ्ट तो बहुत खरीदा जा सकता है.... मगर दिल से बनाई हुई चीज़ की तो बात ही अलग होती है...
स्केच देखकर संजू खो जाती है...

omg Ashu believe नहीं हो रहा रे...
ये तूने बनाया है...
इतना खूबसूरत...
तुमने जो तस्वीर बनाई है वो मुझसे भी ख़ूबसूरत लग रहीं है यार...
I love u Ashu re

पहली बार इस लड़की ने I love u बोला था...

मुझे लगा कि मै कोई सपना देख रहा था... इस मैसेज से तो मेरी नज़र ही ना हट रही थी.. पागल जो गया था मै...

जैसे background music बजने लगा हो मेरे चारों तरफ....
ये प्यार के लक्षड़ थे... जिससे अब पीछा छुड़ाना बहुत ही मुश्किल था...प्यार के कीड़े ने मुझे काट लिया था... जिसका कोई भी इलाज नहीं था....

मै रोज उसके लिए melody टॉफी लेकर जाता 1 रुपए वाली और फिर कहीं मौका देखकर उसे दे देता...
यह सिलसिला भी चलता रहा...हम दोनों की जिंदगी काफी अच्छी चल रही थी...

आगरा की गलियों में आदमी कम मच्छर ज्यादा घूमते हैं... अखिरकर मै कैसे बच पाता....
किसी मच्छर ने मुझे काट लिया और मच्छर ने डेंगू के लक्षण मेरे में डाल दिया...

बहुत कोशिश की ठीक होने की... लेकिन डेंगू को मुझसे इतना प्यार हो गया था कि मुझे छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था...
मेरी तबियत को लेकर संजू बहुत परेशान हो गई थी... वो मुझे रोज फोन करती...प्यार से बात करती, सोचती शायद बात से ही ठीक हो जाऊं... वो भी बहुत उदास हो गई थी....

फिर अचानक मुझे घर जाना ही पड़ गया...घर जाकर अच्छे से अच्छा इलाज़ भी ठीक हो जाता है... काफी दिन मै घर पर ही रहा.... लेकिन कहते हैं ना रिश्तों में दूरियां अगर हो जाए तो रिश्तों की डोर कमज़ोर पड़ जाती है...वहीं हाल हमारे साथ भी हुआ...
बात करना धीरे-धीरे कम हो गया... वो मुझसे दूर जाने लगी... कारण कुछ पता नहीं...

मै उसके जितना करीब जाने की कोशिश कर रहा था... वो मुझसे उतना ही दूर चली गई...

मै सोच में पड़ गया था...आख़िर क्या हो गया उस लड़की को...मेरे साथ ऐसा कियुं कर रही हैं...मै भी बहुत परेशान हो गया...मेरा मन अब उदास रहने लगा...

वो कहते हैं ना...

आज कल मौसम का मिजाज़ कुछ बदला-बदला सा है...
कहीं पतझड़ है तो कहीं धुआं-धुआं सा है...
ये समय का उलटफेर है या मौसम की तब्दीलियत...
आज कल हम दोनों का अंदाज कियुं बदला बदला सा है...

अब टाइम आ गया था देवदास बनने का...प्यार हो जाए और प्यार में देवदास ना बन पाए तो प्यार करना बेकार है...

सच्चा प्यार, सच्चा जज़्बात, सब इस प्यार के खेल में सिमट के रह गए...और लड़की मुझे छोड़कर चली गई...

                            ( PART- 2)

जिंदगी में एक बात तो समझ में आ ही गई थी कि रिश्तों में जब तक नजदीकियां होती तब तक प्यार भी बरक़रार रहता है...

दूरियों से रिश्तों में कड़वाहट आ जाती है...

मेरी कहानी में अभी तक बस एकतरफा प्यार ही था जो अब एकतरफा ही रह गया...

प्यार के इस खेल में कितनों की मोहब्बत आबाद हो जाती है तो कितनों की मोहब्बत बर्बाद हो जाती है...

प्यार उस नशे की तरह होता है जो धीरे-धीरे ही सही लेकिन जब चढ़ता है तो उतरने का नाम ही नहीं लेता...

जो इंसान प्यार से इतना दूर भागता था...आज वो प्यार के इस खेल में खुद ही जकड़ गया था... जिसकी चाभी सिर्फ वो लड़की थी....
अब मुझे ये देखना था कि हम अपने प्यार को पाने के लिए किस हद तक जा सकते हैं...
मै प्यार के रास्ते में इतना आगे निकल गया था कि पीछे मुड़कर जाना दिल को गवारा ही नहीं हुआ...

उसी की तलाश में निकल पड़ते हैं फिर उसी सफर में... प्यार के सफ़र में...

वहीं रास्ते, वहीं मंजिल, वहीं लड़की, वहीं ऑफिस, वहीं शहर मोहब्बत की नगरी आगरा....

मैंने ऑफिस ज्वाइन कर लिया... फिर लग गया उसी काम में...जिसे पहले कुछ दिन के लिए छोड़कर चला गया था....
फिर वही mouse, वही keyboard, वहीं computer...

कुछ दिन ऐसे ही बीत गया... खुद को सेट करने में...

वो लड़की कब ऑफिस में आती, कब ऑफिस से जाती कुछ भी पता नहीं...
सामने भी दिख जाती लेकिन ignor ऐसा करती मानो मुझे जानती ही नहीं... बात करने की कितनी भी कोशिश की लेकिन अब पहले जैसा कुछ भी नहीं था...

मै भी ऑफिस से काम कर के घर जाता... फिर थोड़ा आराम करता... लेकिन घर पर मन ही ना लगता था...भूक प्यास सब कुछ मिट सा गया था...
बस उसी की याद... उसी का चेहरा... मुझे हर तरफ परछाईं की तरह दिखाई देता...
पूरी रात sad song सुन-सुन कर अपनी नींदों की भी खुद से दूर कर दिया था...

ये कैसा प्यार था... हीर रांझे वाला या लैला मजनू वाला या सोनी महिवाल वाला...
दिमाग को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था सिवाय उस लड़की के...

पूरी रात रो-रो कर खुद को इतना पागल कर रखा था कि लगता अब ज़िन्दगी में कुछ बचा ही नहीं है... बस दारू ना पी...

काश कोई मुझे समझा पाता कि अबे प्यार व्यार में कुछ नहीं रखा, लड़की छोड़ के चली गई है... ज़िन्दगी नहीं... दूसरी पटा लेना....
लेकिन हमें भी बड़ा मज़ा आ रहा था... आशिक़ी का भूत जो सर पर चढ़ गया था...

एक दिन पता चला कि संजू ने जॉब छोड़ दिया...
मैंने सोचा कि अब मेरा क्या होगा... कहां ढूडूंगा इस लड़की को...
एक मोटा, हट्टा, कट्टा लड़का कब माचिस की तीली की तरह दिखने लगा कुछ पता ही नहीं चला....
प्यार में इतना डायटिंग कौन करता है भाई...

आखिर मैंने भी जॉब छोड़ दिया...आगरा शहर भी...
नोएडा में जा बसा, नई जॉब, नए लोग, नया काम...
अब जमाना आ गया था व्हाट्सअप का... नया मोबाइल भी ले लिया...

कुछ दिन बीतने के बाद व्हाट्सअप पे थोड़ी बात होती है, लेकिन मै जितना भी प्यार भरे मैसेज करता... मैडम उतना ही दूर भागती....
लड़ाई झगड़ा सब कुछ उसी व्हाट्सअप पे हो जाता....

दिमाग तो ऐसे खराब होता कि मन करता साली के मुंह ही तोड़ दूं.…इतना भाव कौन खाता है यार...

नोएडा में भी मन नहीं लगता फिर वही पागलपन शुरू हो गया...
मै भी ऑफिस से छुट्टी मारकर नोएडा से आगरा जाता 300 किलोमीटर दूर... सिर्फ उसे देखने के लिए वो भी 3 दिन की छुट्टी लेकर....

वो जिस रास्ते से होकर जाती... उस रास्ते में मै खड़ा रहता...
2 घंटे 3 घंटे 4 घंटे ना दिखती तो दूसरे दिन फिर वही खड़ा रहता...क्या धूप... क्या बारिश... क्या सर्द... 2-2 घंटे बारिश में भीगता रहता... ठंड से पूरा शरीर कपकपा सा जाता... लेकिन कभी भी हिम्मत नहीं हारी....
खुद को इतना तकलीफ देता था कि दर्द भी को दर्द का एहसास हो जाए...वाकई ये प्यार नहीं एक पागलपन था...

ऐसा लग रहा था कोई जंग छिड़ गया हो मेरे और प्यार के बीच... प्यार मुझे हराना चाहता था लेकिन मै था कि हार मानने वालों में से कहां....
वो कहते हैं ना....

मंजिल अगर आसानी से मिल जाए तो रास्ते का मज़ा ही क्या है...
परेशानियां अगर आसानी से सुलझ जाए तो ज़िन्दगी जीने का मज़ा ही क्या है...

बस उसकी एक झलक पाने के लिए मै इतना दर्द सहन कर जाता मै...कि बस एक  के बार दिख जाए कैसे भी...लेकिन उस लड़की को कुछ भी नहीं मालूम था कि मै उसी के रास्ते में....उसी के घर के पास खड़ा रहता...उसके इंतजार में...लेकिन उसे कभी मालूम भी नहीं पड़ने दिया...

लेकिन वो एक बात तो जानती थी कि आशु मुझसे बहुत प्यार करता है... मुझे वो कभी छोड़ कर जा नहीं सकता...

काश उस लड़की को भी कोई बताने वाला होता कि कोई है... जो तुम्हारा चलती राह पे इंतजार कर रहा है... कोई है जो तुम्हारी बस एक झलक पाने के लिए नोएडा से आकर आगरा की गलियों में भटक रहा है... काश कोई बता पाता कि तुम्हारा जन्मदिन सिर्फ मनाने के लिए वो केक नोएडा में नहीं आगरा शहर में आकर काटता था... काश कोई बता पाता कि वो तुम्हे गिफ्ट देने के लिए तुम्हारे घर तक चला गया था वो भी आधी रात को... काश कोई बता पाता कि जब चांद रात के आगोश में सो रहा होता है तो कोई है जो तुम्हे याद कर कर के पूरी रात जाग रहा होता है...

लेकिन कहां उस लड़की को कुछ भी नहीं मालूम था...

ये मेरी जिंदगी के लिए एक सबक था...कभी मैंने भी किसी का 
इतना ही दिल दुखाया था... कभी मैंने भी किसी को इतना ही दर्द दिया था जितना आज मै सहन कर रहा हूं...कभी मैंने भी किसी को इतना ही परेशान किया था जितना आज मै परेशान हो रहा हूं...मैं भी उसे यही समझाया करता था कि प्यार व्यार कुछ नहीं होता...तुम भूल जाओ मुझे... लेकिन उस लड़की एक बात याद आती है... उसने ही बोला था... कभी तुम्हे प्यार होगा आशीष तब तुम्हें एहसास होगा कि प्यार होता क्या हैं...

शायद उसी के प्यार की एक सीख थी मेरे लिए भी...

दिल बहुत उदास सा हो गया था...हर लम्हा थम सा गया था...ज़िन्दगी जैसे ज़िन्दगी से ही दूर चली गई हो...
मै उस कस्ती में सफ़र कर रहा था जिसका कोई किनारा ही नहीं था....
जिंदगी में एक बात तो समझ में आ गई... प्यार को प्यार की तरह ही समझाओ लेकिन खुद को इतना कमज़ोर ना करो कि खुद की नजर में ही गिर जाओ....

बहुत खुद को समझाने के बाद आखिर मैंने सबकुछ छोड़ ही दिया...

वो लड़की, वो प्यार, वो जज़्बात, वो यादें, वो शहर, सबकुछ...

आ गया हैदराबाद शहर... नवाबों का शहर....

इतने धक्के खाने के बाद आखिर जिंदगी में entry होती है दूसरी लड़की की...खूबसूरत सी लड़की की...

जिसकी बटन सी आंखें फिर से मुझे घायल कर गई...
फिर से मोहब्बत की शुरुआत... फिर से नया खुमार...
लेकिन इस बार सबकुछ अलग था...
कियुंकि इस बार मेरा दिल लड़की पे नहीं बल्कि लड़की का दिल मुझपे जो फिदा था....

3 साल बाद

संजू वहीं आगरा वाली लड़की...मेरे दोस्त से मेरा नंबर लेती है... शायद ऊपर वाले की कृपा ही थी कि उस लड़की को मुझसे ही प्यार हो गया... इतने दिनों बाद उसके दिल में मेरे प्यार के तूफान ने दस्तक दे ही दिया...वो कहते हैं ना...

होम्योपैथिक दवा का असर होता है लेकिन बाद में होता है...

मैंने भी बात किया दिल में इतना दर्द भरा था कि जब तक उस दर्द को उससे कहा नहीं... दिल को सुकून ही नहीं मिल पाया...
मैंने उसे सब कुछ बताया... बड़े गुस्से में... बहुत सुनाया उसे जो दिल में आया सब कुछ...वो सारी कहानी जो वो सारे दर्द...जो मैंने उसके लिए सहन किए...इतना सुनकर तो वो रोने लगी... उसके आंखों में आशु देख कर इस आशू को थोड़ा अच्छा लगा कि कम से कम उसे एहसास तो हुआ...

फिर उसने भी मुझसे शादी करने के लिए हां भर दिया...
मेरी और अपनी कुंडली कितना मैच करता है ये भी देख लिया...
लेकिन मैंने मना कर दिया कि संजू अब मै शादी नहीं कर सकता...अब मै पीछे मुड़ कर नहीं देखना चाहता...

मेरा रास्ता... मेरी मंजिल...मेरा समय..जो मेरे साथ है अब में उसे खोना नहीं चाहता... 
तुम्हारा रास्ता अलग है और मेरा रास्ता अलग....

अब से हम सिर्फ दोस्त है बस...और हमेशा दोस्त ही रहेंगे...

बस इतनी सी है कहानी....

2 comments:

  1. बहुत ही अच्छा लिखते हो भाई।
    मुझे पता है यह सब सच है पर सच को भी लिखने की कला होती है और वह कला तुम्हारे पास बहुत जबरदस्त है।

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  2. Great ho ap to
    Bahut hi achhe sabdo me apni life ki story baya ki so great yar

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हर ख़्वाब हक़ीक़त हो जाए ...ये जरूरी तो नहीं... हर मोहब्बत पूरी हो जाए ...ये जरूरी तो नहीं... हम तुम्हें पसंद करतें हैं ...ये और बात है... त...