तुम्हें मैंने कई बार देखा...
लेकिन जब भी देखा तो लगा की पहली बार देखा...
वो नज़रों का धोखा था या तुम्हारे आंखों की बदमाशियां...
तेरे आंखों में ये काजल... आज ये पहली बार देखा...
तुम्हारी भोली सी सूरत पे...आज वो प्यारी सी मुस्कान देखा...
तुम्हारी झील सी आंखों में...ढलता हुआ एक शाम देखा...
तुम्हारी काजल की रेखा ने सारे बादल की घटाओं को यूं समेट लिया...
उन आंखों से भी मोहब्बत की इतनी बरसात होगी...आज ये पहली बार देखा....
आशीष गुप्ता....
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