हर लम्हा ठहर सा जाता है तेरे आने के बाद...
वो चांद भी शरमा सा जाता है तुझे देखने के बाद...
बनाने वाले ने तुझे क्या सोचकर बनाया होगा...
मेरी धड़कन भी रुक सा जाता है तेरा नाम लेने के बाद...
आशीष गुप्ता...
हर लम्हा ठहर सा जाता है तेरे आने के बाद...
वो चांद भी शरमा सा जाता है तुझे देखने के बाद...
बनाने वाले ने तुझे क्या सोचकर बनाया होगा...
मेरी धड़कन भी रुक सा जाता है तेरा नाम लेने के बाद...
आशीष गुप्ता...
मैंने हर नशे को आजमाया वो फीका ही निकला...
फिर नशा किया मोहब्बत का, कसम से झकझोर दिया...
आशीष गुप्ता...
ज़िन्दगी की जद्दोजहद में परेशानियां हो कितना भी...
जमीं से लेकर आसमां तक उचाईं या हो कितना भी...
किसी में इतना दम नहीं की मेरे हौसले की उड़ान को रोक ले...
मंजिल तक तो मै पहुंच ही जाऊंगा, रास्ते में कांटे बिछा दो कितना भी...
आशीष गुप्ता...
एक बार मोहब्बत किया तो शायर बना दिया....
पता नहीं इस बार के मोहब्बत का अंजाम क्या होगा...
आशीष गुप्ता...
लिखने का हुनर तो हर किसी में होता है... जनाब...
बस एक बार मोहब्बत कर के तो देखो...
तुम्हारे शब्द खुद ब खुद गज़ल बन जाएगी...
बस एक बार कलम उठा कर के तो देखो...
आशीष गुप्ता...
मुझे दुश्मनों का खौंफ नहीं... मै शेर हूं...अकेले ही घूमता हूं...
तुम आग लगाने की कोशिश भी मत करना...मै सरफिरा हूं...बारूद लिए घूमता हूं...
आशीष गुप्ता...
आज कल मोहब्बत भी तुमसे...कुछ इस कदर हो गई है...
तुम्हें याद करते ही ग़ज़ल लिख देता हूं...
क्या करें कमबख्त ये इश्क़ का आलम ही कुछ ऐसा है...
ना देखूं तुझे तो क्या से क्या लिख देता हूं....
आशीष गुप्ता...
तुम्हें देखता हूं तो मेरी आंखें भी झुक जाती है...
क्या ये मोहब्बत नहीं है...
ना देखूं तो दिल भी तड़प सा जाता है...
क्या ये मोहब्बत नहीं है...
जरूरी है क्या की हर मोहब्बत का इजहार करूं...
कभी तुम भी मेरी खामोशियों को समझो...
जो खामोश होकर भी बहुत कुछ बयां कर जाता है...
सुना है तुम किताब पढ़ते हो...
कभी मेरा चेहरा भी पढ़कर देखो...
आंखों में झांक कर देखो तो पता चलेगा...
की कितनी मोहब्बत है तुमसे...
तुम्हारे मोहब्बत के दरिया में इस कदर डूब गया हूं कि
ना तो इसका कोई किनारा ही मिल रहा है...
और ना ही कोई मंजिल...
हर तरफ़ बस तेरी यादों की तन्हाई है...
आशीष गुप्ता...
तुम हमे इतना मत खोजों... हम कहीं और बसते हैं....
आशियाना है इतना कि... हम हर रोज़ घर बदलते हैं...
तुम ढूड़ते रहोगे मुझे...फिर भी हम तुम्हें नहीं मिल पाएंगे...
हमारे चाहने वाले ही हैं इतना कि... हम हर किसी के दिल में बसते हैं...
आशीष गुप्ता
तुम #अजनबी बनकर आए थे...
और मुझे अपना बना लिया...
देख तेरी मोहब्बत ने फिर से हमें...
#अजनबी बना दिया...
आशीष गुप्ता...
दोस्तों की मेंफिल थी
शाम भी रंगीन थी...
वो पल भी क्या पल था
जब सामने तू थी...
आंखों में नशा था
बातों में प्यार...
अब नाराजगी किस बात की
आ गले लग जा मेरे यार...
आशीष गुप्ता...
जिंदगी में एक बार मोहब्बत किया तो, खुद से ही मोहब्बत कर बैठा...
मोहब्बत में इतना दर्द मिला की, लगा जैसे कोई गुनाह कर बैठा...
मोहब्बत से खुद को इतना दूर कर लिया था कि, मोहब्बत भी मुझे गवारा नहीं...
तुम्हें जब पहली बार देखा तो यार कसम से, फ़िर से मोहब्बत कर बैठा...
आशीष...
मेरी मोहब्बत हक़ीक़त है... तुम गलत मत समझना...
लेकिन हां ये सच है...इसे झूट मत समझना...
मैंने बड़ी सिद्दत्त से चाहा है...और मांगा है तुम्हें...
मेरी हर ग़ज़ल में बस ज़िक्र तेरा ही है...तू किसी और का मत समझना...
आशीष गुप्ता...
हर ख़्वाब हक़ीक़त हो जाए ...ये जरूरी तो नहीं... हर मोहब्बत पूरी हो जाए ...ये जरूरी तो नहीं... हम तुम्हें पसंद करतें हैं ...ये और बात है... त...