आज कल मोहब्बत भी तुमसे...कुछ इस कदर हो गई है...
तुम्हें याद करते ही ग़ज़ल लिख देता हूं...
क्या करें कमबख्त ये इश्क़ का आलम ही कुछ ऐसा है...
ना देखूं तुझे तो क्या से क्या लिख देता हूं....
आशीष गुप्ता...
हर ख़्वाब हक़ीक़त हो जाए ...ये जरूरी तो नहीं... हर मोहब्बत पूरी हो जाए ...ये जरूरी तो नहीं... हम तुम्हें पसंद करतें हैं ...ये और बात है... त...
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