ये नज़र तुम पर क्या पड़ी...हर नज़र तुम पर ही जा गिरी...
तुम कहीं भी हो किसी भी जगह...ये नज़र ढूंढ लेती है तुम्हें हर जगह....
बार-बार तुम सामने आ जाते हो...बार-बार तुम नज़र से नज़र मिला जाते हो...
कुछ ना तुम कहते हो...कुछ ना हम कहते हैं...
बस नज़रों से बात करते हो...नज़रों से मुलाकात करते हो...
आशीष गुप्ता...
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