Tuesday, 7 April 2020

फर्स्ट डेट...




फर्स्ट डेट....


ये डेट करना भी किसी इंटरव्यू से कम नहीं होता... दिमाग की बत्ती ही गुल हो जाती है एक लड़की को डेट करने में...

ये सिर्फ मेरी परेशानी नहीं है...दोनों तरफ ही वहीं कश्मकश... वहीं उलझनें... वहीं हिचकिचाहट...देखने को मिलता है...कि हमारा एक्सप्रेशन क्या होगा... हमारा हाव भाव क्या होगा...क्या पहने क्या ना पहनें...परफ्यूम कौन सा लगाए...किसी अच्छे से रेस्टोरेंट में मिलना...एक दूसरे को देखना....फिर बात करना...ऐसे बहुत सारी बातें दिमाग़ के चारों तरफ घूमती रहतीं है...जो अब मेरे दिमाग़ में भी चल रहा है...

मै भी किसी के साथ ज़िन्दगी की पहली डेट पर जा रहा हूं...

पूर्वा के साथ...फेसबुक पे मुलाक़ात हुई थी....फ्रेंड रिक्वेस्ट मैंने ही भेजा था... और मैडम ने तीन दिन बाद request accept किया था... फिर थोड़ी बात हुई... कुछ जान पहचान हुई... बात करते करते कब हम दोस्त बन गए कुछ भी पता ही नहीं चला...उसे मैंने कभी नहीं देखा था... बस फेसबुक पे ही बात हुई थी...और फोन पे आवाज़ सुना था बस... आवाज़ उसकी बहुत ही प्यारी थी... मुझे भी अच्छा लगता था उससे बात करना और उसे मेरी बकवास शायरी सुनना बहुत पसंद था...

पूर्वा ने फेसबुक में जो फोटो डाल रखा था वो भी अजीब था... पूरा चेहरा ही नहीं दिखता... बस उसकी आंखों के साइड में एक काला तिल था जो मेरे दिल को घायल कर रखा था...
वो कहते हैं ना...

आजकल तेरे इश्क़ में मैंने खुद को पागल कर रखा है...
तेरी आंखों के इस काले तिल ने मुझे घायल कर रखा है...

अब समय आ गया था हमदोनों को मिलने का...आखिर कल हम मिलने जा रहे हैं...अपनी पहली डेट पर...

पूर्वा - हैलो आशीष
आशीष - कैसे हो
पूर्वा - कल कितने बजे मिलना है
आशीष - तुम बताओ
पूर्वा - 2 बजे दोपहर में मिलें
आशीष - ठीक है
पूर्वा - अरे लेकिन कहां किस जगह
आशीष - moonshine
पूर्वा - ओक बॉस

रात बहुत हो गई थी रात के 1 बज रहे थे...
और नींद भी आज कहीं किसी के साथ डेट पर चली गई थी...
बस दिल में एक घबराहट सी थी...
नींद भी नहीं आ रही है थी...क्या करूं क्या ना करूं...अच्छा लाइट बंद कर देता हूं अब ठीक है...अब नींद आ जाएगी...
अच्छा जब तक नींद नहीं आ रही है मोबाइल ही देख लेता हूं...व्हाट्सअप चेक कर लेता हूं पूर्वा भी ऑनलाइन नहीं है...अब क्या करूं मै... अच्छा डीपी ही देख लेता हूं...
इतनी उलझन तो मुझे आजतक नहीं हुई...

करवटें बदल बदल कर बिस्तर को भी बेड से अलग कर रखा था... तकिया को तो ऐसे गले लगाए हुए था मानों की वो लड़की ही मेरे पास हो... मैं उस तकिए से ही बाते किए जा रहा हूं...हद है इतना पागल पन... ये मोहब्बत भी ना...मै कहीं इधर बैठता तो कहीं छत पर बैठकर तारें गिनता... चांद से भी बातें करता...
वो कहते हैं ना...

मीठा अगर ज़हर होतो पीने में मज़ा आता है...
इश्क़ अगर सच्चा हो तो इश्क़ करने में मज़ा आता है...

मेरा भी कुछ यही हाल हो रखा था...

रात जैसे जैसे अपनी आगोश में खोए जा रही थी....मेरी तन्हाई और मेरी छटपटाहट भी बढ़ती जा रही थी....
अब तो रात भी बहुत लम्बी लगने लगी...धड़कन में मानों तूफानों ने दस्तक दे दिया हो...वो कहते हैं ना...

आज कल इतंजार का आलम कुछ ऐसा है...
रात काटे नहीं कट ती और नींद है की सो सी गई है...

सुबह अलार्म बजता है ...
मैं जैसे उठता हूं... देखता हूं 10 बज गए...

ओह शिट...

मोबाइल देखता हूं... पूर्वा के 11 मिसकॉल और गुस्से से भरा मैसेज...

पूर्वा -
good morning
फोन कियुं नहीं उठा रहे हो
कुंभकरण की तरह सो गए क्या
मुझे जगाकर खुद सो रहे हो
मुझे बात नहीं करनी
सो जाओ

मैंने तुरंत फोन लगाया और उससे बात की और उसे मना भी लिया....

लड़कियां इतनी जल्दी मान कैसे जाती है...

मैं उठता हूं... नहाना, नाश्ता हो गया... अब कपड़े कौन सा पहनूं...
मुझे ब्लेक ज्यादा पसंद है..ब्लैक शर्ट, ब्लैक जीन्स वहीं पहन लिया...
मैं फटाफट तैयार हो गया...

पूर्वा का मैसेज आता है...

क्या पहनूं

मैंने कहा जो तुम्हें पसंद हो...

जल्दी जल्दी बाइक की चाभी ली.. हेलमेट लिया... लाइट बंद की और लिफ्ट से नीचे जाता हूं...

अचानक से बाइक को क्या हो जाता है...वो चालू ही ना हो रही है... बहुत कोशिश की लेकिन स्टार्ट नहीं हुआ...

मेरा मूड ऑफ हो जाता है...

इसे अभी ही खराब होना था...अब मैं किस से जाऊं.. समय भी काफी हो चुका था...

फिर ऑटो का वेट करता हूं...ऑटो भी कहीं नहीं दिख रहा...अचानक से एक ऑटो वाला दिखता है...

भाई साहब मुझे moonshine hotel जाना है...
ऑटो वाला - 300 लगेंगे
ठीक है भाई चलो

पूर्वा का भी फोन आता है वो भी पहुंचने वाली थी...

घर से निकलते ही बादलों ने भी दस्तक दिया... बिजली की गड़गड़ाहट और हवाओं की सुगबुगाहट ने आज मौसम का रुख़ ही बदल दिया... बारिश की बूंदे टिप टिप कर गिरना चालू हो गया...आज तो कुछ होने वाला है मुझे पहले से ही एहसास हो गया...बुरे बुरे से ख्याल आने लगे...

ऊपर से ट्रैफिक भी काफी थी...

भाई थोड़ा जल्दी ले चलो ना बहुत देर हो रही है...

ऑटो वाला
अरे सर देखो कितना ट्रैफिक है ऊपर से उड़ाकर लेकर जाऊं क्या...

अरे भाई नाराज़ मत हो
अच्छा ठीक है चलो

ट्रैफिक और रेडलाईट ने दिमाग ख़राब कर रखा है...

ऊपर से इतना जाम...बारिश से पूरी तरफ भीग गया था...कपड़े की what लग गई थी....

पूर्वा का फिर फोन आया...मै पहुंच गई तुम कहां हो...
मै बस पहुंचने वाला हूं...मैंने कहा

अचानक से ऑटो भी रुक जाता है...

भाई क्या हुआ... मैंने पूछा
लगता है ख़राब हो गया..
इंजन में पानी चला गया चालू नहीं हो रहा...
अरे यार इसे भी यही खराब होना था...
अब क्या करना है...
ऑटोवाला सर आपको यही से पैदल ही जाना होगा...
आगे मैं नहीं जा सकता...

अब मेरे पास भी कोई ऑप्शन नहीं था...
उसे पैसे देता हूं... मोबाइल को कवर करता हूं....
और पैदल ही निकल पड़ता हूं....
पूरी तरह से मै भीग गया था... आज का दिन मेरे लिया बहुत ही  बुरा जा रहा था...

पूर्वा का फोन भी बार बार आ रहा था...
मैंने फूल वाले भाईसाहब से एक गुलाब का फूल लिया और उसे मैंने अपने शर्ट के अंदर डाल लिया...

मैं भी होटल आख़िर पहुंच ही गया...उसे कॉल करता हूं...
तुम कहां हो...

पूर्वा

मुझे एक घंटे हो गए...और तुम मेरा फोन भी नहीं उठा रहे हो... बता तो देते कहां पहुंचे तुम... कितने देर से इंतज़ार कर रहीं हूं...
अरे मैं पहुंच गया हूं... मिलकर बताता हूं...तुम कहां हो... मैं तुम्हें पहचानूं कैसे...

इतना बोला ही था कि...

मेरा मोबाइल भी अचानक बंद हो गया...बार बार ऑन किया लेकिन ऑन ही ना हुआ पानी जाने की वजह से खराब हो गया...इस फोन को भी अभी बी बंद होना था...

हम दोनों एक दूसरे के पास ही थे लेकिन पहचान ही ना पा रहे थे...
अब मैं क्या करूं... इतने भीड़ में मैं उसे कैसे ढूंढूं...

मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था... जोर से दीवार पर मैंने अपना पैर मारा...बहुत ही गुस्सा आ रहा था... इतने सारे लोगों में मैं उसे कैसे पहचानता... हर तरफ मेरी नज़र बस उसे ही ढूंढ रही थी लेकिन मुझे वो कहीं भी नहीं दिखीं...और दिखती भी कैसे उस से तो कभी मिला भी नहीं था...

मुझे एक लड़की दिखीं... वो भी अकेले ही खड़ी थी...मुझे लगा वहीं है...भागते हुए उसके पास गया...मैंने उसे बुलाया पूर्वा
वो पलटकर बोली Excuseme मेरा नाम पूर्वा नहीं...

मैंने सॉरी बोला और फिर चला गया उधर से...

उस बारिश में मैं खड़ा रहा भीगता रहा...काफी देर बाद...
मैं जाकर सीढ़ी के पास बैठ गया...

कुछ देर बीत जाने के बाद...

अचानक से किसी का हाथ मेरे कंधे पर आता है... और एक आवाज़...
हाय आशीष

मैं मुड़कर देखता हूं...सामने वो ख़ूबसूरत सी लड़की... वहीं आंखों के बगल में काला तिल... रेड शूट में... माथे पे बिंदी... आंखों में काजल... होंठों में हल्की सी लाली...पूरी भीगी हुई...बारिश की बूंदे उसके बालों से होकर आंखों के रास्ते उसके होंठों को छू कर बगल से चले जा रहे थे...

वैसे लड़कियां भीगने के बाद और भी खूबसूरत हो जाती हैं...

मैं तो उसे देखता ही रहा...

मेरी धड़कन की रफ़्तार भी बढ़ गई थी... होंठ कपकपा रहे थे...
मैं खो सा गया था...बारिश की बूंदे हम दोनों को भिगोए जा रही थी...बिजली भी खूब चमक रही थी...
मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि वो मेरे सामने खड़ी है...
वो कहते हैं ना...

मन करता है तुझे पास बुला लूं...
एक बार तुझे सीने से लगा लूं...
आंखों में छिपा कर तुझे दिल में बसा लूं...
धीरे धीरे अपने होंठों से तेरी लाली को चुरा लूं...

मैंने उससे बोला... की तुम सच में मेरे सामने हो...

उसने मुझे गले लगाया...वहीं जादू की झप्पी... और बोली हां मैं ही हूं...

उससे गले मिलकर मुझे इतना सुकून मिला मानों समंदर से लहरें काफी अरसे बाद मिलीं हो... उससे अलग होने का दिल ही ना करें...इस पल को मैं जी भर के जीना चाहता था... बस हम दोनों एक दूसरे में डूब गए...
वो कहते हैं ना...

तैरना तो आता था मुझे इतना कि दरिया भी पार कर जाऊं...
पर तेरी आंखों में जो डूबा तो डूबता ही चला गया डूबता ही चला गया...

मैंने उससे पूछा तुमने मुझे पहचाना कैसे...

उसने बोला...

तुम्हारा मोबाइल ही नहीं लग रहा था... काफी देर कोशिश भी की मैंने... तुम्हें हर तरफ देखा मैंने... तुम मिले ही नहीं... मैं भी अंदर होटल में कुछ देर के लिए बैठ गई... वहीं मेरी दोस्त मिल गई... उसको मैंने सबकुछ बताया... और तुम जिस लड़की को देखकर तुमने मुझे समझा था... वो मेरी दोस्त है... उसी ने बताया कि तुम मुझे ढूंढ रहे हो...और वो जो लड़का सीढ़ी के पास बैठा है...वहीं है...और मैं आ गई... वो देखो सामने खड़ी है...मेरी दोस्त...
मैंने भी उसे thanks बोला...

हम दोनों होटल में ना जाकर एक चाय की दुकान पर जाते हैं...
भाई मस्त दो चाय बनाना स्पेशल वाली...

चाय वाले भाईसाहब ने मलाई डाल कर अच्छी वाली चाय बनातें हैं....और फिर हम दोनों चाय पीते हैं...हम चाय पीते ही हैं कि पूर्वा ने मेरा चाय ले लिया और अपनी चाय का कुल्हड़ मुझे दे दिया... पूर्वा ने जिस कुल्हड़ में चाय पिया था... वो उसके होंठों से छू कर वो चाय कुछ ज्यादा ही मीठी हो गई थी...

सबकुछ अजीब ही था... मिलने से पहले कितना डर लग रहा था...लेकिन मिलने के बाद ऐसा लगा कि हम दोनों पहले भी कभी मिल चुकें हैं...
फिर काफी देर हमलोग खूब बातें करतें हैं...हसी मज़ाक किया... हम दोनों एक दूसरे को देखते ही रहे... सब कुछ मानों थम सा गया था...
मेरे हाथों उसका हाथ था...ज़िन्दगी के सफर में उस हमसफ़र का साथ था...

ये पल यादगार था मेरे लिए...
ये बारिश भी बहुत सारी यादों के साथ मेरी ज़िन्दगी में खूबसूरत सा रंग भर गया था...

मैं उसे गुलाब का फूल शर्ट से निकाल कर देता हूं...जिसकी पंखुड़ियां बारिश की बूंदों से भीगकर मानों और महक सी गई थी... उसने भी मुझे एक प्यारा सा तोहफ़ा दिया...

फिर भीगते गए हम...घूमते गए हम...
उस बारिश की मस्ती में...झूमते गए हम...
सोचा भी ना था कि...ऐसा भी कोई पल आ जाएगा...
हम दोनों को देखकर.. बारिश भी शरमा जाएगा...

ऐसी रही हमारी ज़िन्दगी की फर्स्ट डेट...

बस इतनी सी थी कहानी...


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