ज़रूरी नहीं कि हर बात का इजहार अल्फ़ाज़ से ही किया जाए...
कभी-कभी खामोशियां भी बयां कर जाती है अपने जज़्बात को...
आशीष गुप्ता...
हर ख़्वाब हक़ीक़त हो जाए ...ये जरूरी तो नहीं... हर मोहब्बत पूरी हो जाए ...ये जरूरी तो नहीं... हम तुम्हें पसंद करतें हैं ...ये और बात है... त...