Saturday, 22 August 2020

मेरी ज़िन्दगी की कुछ अनसुलझी कहानी...18+


पिछले चार साल से मैं घर नहीं गया... कभी ऑफिस से छुट्टी ही नहीं मिल पाती थी...दिन भर ऑफिस में काम करो... उसके बाद घर जाकर ख़ुद के लिए काम करो... बस ऐसे ही ज़िन्दगी चल रही थी... ना कोई खास दोस्त...ना कोई गर्लफ्रेंड्स....
30 साल का वर्जिन लड़का जिसकी उम्र के साथ- साथ इच्छाएं भी खत्म हो जा रहीं थी...

मिले भी तो कैसे यार... चूतिया जैसी शक्ल... लड़की कहां से भाव देगी...
कभी गलती से किसी लड़की से बात भी कर लो तो ऑफिस वाले बीच में राहु बन के आ जातें हैं...

अरे बात बाद में कर लेना काम बहुत सारा है...

मन में सोचा...
बहनचोद 5 साल से काम ही तो कर रहा हूं... काम कर-कर के कामवासना से कोषों दूर हो गया हूं... जी करता है बहनचोद जॉब ही छोड़ दूं....

और ऑफ़िस में बॉस तो सारी सुन्दर कलियों को केबिन में बुलाकर बढ़िया - बढ़िया ज्ञान पेलते रहते हैं...

मेरा दोस्त तरुण...
ओए क्या कर रहा है... कितना काम करेगा... इधर तो आ...

मैं यानी रोहन - गांड मरा रहा हूं... तू भी मार ले... बॉस ने मार रखी है तू भी ले ले...
तरुण - गुस्सा क्यों हो रहा है चल चाय पीतें हैं...

चाय की दुकान पे...

भाई चाय देना दो मस्त दूध अदरक डाल के...

तरुण - और बता इतना फ्रस्टेड क्यों है... सड़े टमाटर सी शक्ल बना रखी है...
कुछ नहीं यार काम कर - कर के दिमाग़ है ख़राब हो गया है... प्रोफेशनल जॉब में पर्सनल लाइफ की तो व्हाट लगी पड़ी है...
ज़िन्दगी झंड हो रखी है... घर नहीं जा पा रहा... छुट्टी इतनी बची है क्या गांड में डालूंगा...

तरुण - कोई ना छुट्टी के लिए मेल कर दे और प्यार से बॉस से बात करना...

चाय वाले भाई...

लो भाई चाय...चाय पीते ही...मैंने बोला
क्या बे चाय की भी मां चोद रखी है ऐसे चाय बनती है...

मूड ही ख़राब कर दिया...

तरुण - रहने दे पैसे मैं देता हूं...
मैं - हां तू ही दे मैं तो बस गांड ही दूंगा...

उसी समय प्रिया आ जाती है तरुण की गर्लफ्रेंड...

प्रिया - अरे तुम दोनों अकेले चाय पी रहे हो मुझे बुलाया भी नहीं...
मैंने कहा - अरे भाई साहब मेडम के लिए वैसे ही चाय बनाकर देना...
और बताओ तुम्हारी सहेली नहीं दिख रही उसे कहा छोड़ दी...
प्रिया - क्यों बड़ा हाल चाल ले रहे हो पसंद है क्या...
रोहन - नहीं ऐसे ही पूछ रहा था...चलो तुम लोग चाय पियो हम चलते हैं...

तभी जैसे ही थोड़ी दूर गया मैं...

प्रिया की सहेली किसी से बातें कर रही थी...

हाय क्या चल रहा है मैडम...
कुछ नहीं वो जो लड़का अभी गया ना उसने मुझे चॉकलेट दिया खाओगे...

रोहन - ओह बहनचोद यहां भी कोई हाथ मार रहा है...
इसकी तो...ओए रुक इधर आ...
लड़का आता है...
क्या बे तेरी क्या लगती है ये...
लड़का - दोस्त है...
रोहन - अबे चूतिए दिन भर में कितनों को चॉकलेट देगा...किसी को तो छोड़ दिया कर... घर में मां बहन नहीं हैं क्या तेरे... दिन भर पराई लड़की पे हाथ मारता रहता है...
ये ले चॉकलेट पकड़ और निकल गांडू...

निकी - तूने क्यों भगाया उसे और तुझे क्यों इतनी जलन हो रही है...
रोहन - अबे तेरी कोई सेल्फ रेस्पेक्ट है कि नहीं... हर किसी से कुछ भी ले लेती है... और ऐसे चूतियों को मुंह ना लगाया कर...
निकी - तुम जाओ मुझे बात नहीं करनी...
रोहन - हां जा रहा हूं... वैसे भी तेरे जैसे से कौन बात करना चाहेगा...

शाम को 7 बजे घर पहुंचता हूं... घुसते ही बॉस का फोन आता है...
बॉस - अरे वो मैल चेक कर लो और रिपोर्ट बनाकर मुझे भेजो जल्दी...
रोहन - सर अभी कुछ बना खा लूं...
बॉस - बाद में खा लेना ये काम बहुत इंपोर्टेंट है... पहले ये करो...

रोहन - बहनचोद इनको भी चैन नहीं आता... इंसान घर पहुंचा है... थका हारा है... कुछ देर आराम करने दो लेकिन नहीं... इनके गांड में चुल्ल भरी पड़ी है... सबकुछ तुरंत चाहिए...

जल्दी - जल्दी रिपोर्ट बनाता हूं...और फॉरवर्ड करता हूं...
बिना कुछ खाए और बिना कपड़े बदले ही सो जाता हूं...

अचानक से बड़ा ख़ूबसूरत सा सपना आता है...

एक लड़की मुझे अपने बाहों में लिए आंखों में आंखे डालकर बातें कर रही है... हम दोनों बस एक दूसरे को देख रहे हैं...मैंने उसे ख़ूब जकड़कर पकड़ रखा था... उसके बालों को सहलाता... उसके होंठों को निहारता...बहुत ही अच्छा लग रहा था...ऐसे लगा कि हवा में उड़ता ही जा रहा हूं...बारिश में भीगता ही जा रहा हूं... मैं जैसे ही उसके होंठों को अपने होंठों से छुआ... अचानक से आवाज़ आती है...

भो... भो... भो...
तुरंत मेरी नींद खुलती है...

ओह बहनचोद... रॉकी तू यहां क्या कर रहा है...
उसने तो सू.. सू.. भी कर रखा था मेरे ऊपर और मुझे लगा बरसात हो रही है बहनचोद....

साले सपने में तू मेरे साथ था... छी मूड ही ख़राब कर दिया...

रॉकी मुझे गुस्से वाली नज़र से देखे जा रहा था... देखे जा रहा था...
ऐसा लग रहा था उसे कि... मैंने उसका रेप कर दिया हो....

घड़ी देखता हूं...ओह शिट 11 बज गए...

आज तो मेरी लंका लग जाएगी ऑफिस में...
कैसे तैसे बालवाल सही कर के ऑफिस पहुंचता हूं...

बॉस सामने...
आज फिर इतना देर... ऑफ़िस तुम्हारे बाप का है... जो कभी भी मुंह उठाए चले आते हो...

मुझे कुछ बोलने का मौका ही ना दिया गांडू... बोले ही जा रहा है... बोले ही जा रहा है...घोर बेइज्जती कर दी सबके सामने... मैं सीट पर बैठता हूं...और तरुण आता है...

क्या बे तेरा रोज़ का हो गया है देर से आना... कभी तो जल्दी आ जाया कर...
रोहन - अब तू ये मूड की मां मत चोद...
उस चूतिए ने रात भर रिपोर्ट बनवाए...दिन में थोड़ा लेट हो गया तो...आसमान सर पे उठा लिया है... अबे थोड़ा तो प्यार जताए... हमेशा मुंह में लंड दिए रहता है...

तरुण - अबे साले ये कुत्ते के बाल तेरे शर्ट पे कैसे लगा है... क्या बे कुत्ते जैसे बदबू मार रहा है... नहाया नहीं क्या...

रोहन - कुछ नहीं बे छोड़ वो रॉकी था...सो गया था साथ में...

अच्छा ये बता छुट्टी के लिए मैल करूं क्या...
तरुण - अभी मत कर मूड सही नहीं है बॉस का...

उसी समय प्रिया आती है...
हैलो मुझे तो छुट्टी मिल गई 1 वीक के लिए...

तुरंत मैं भी बॉस के पास जाता हूं...
सर कुछ बात करनी थी...

बॉस - आओ बोलो...
सर वो कह रहा था कि कुछ जरूरी काम आ गया है तो कुछ दिन के लिए छुट्टी चाहिए...
बॉस - क्या ज़रूरी काम आ गया है...
सर वो दादी की तबीयत ठीक नहीं है तो जाना पड़ेगा...
बॉस - बहाना मत मारो... जब देखो छुट्टी...कोई छुट्टी नहीं है अभी...
सर आपने तो प्रिया को छुट्टी दे दिया फिर मुझे क्यों नहीं...

बॉस - प्रिया के एग्जाम है...अच्छा ये बता मैं तुमसे पूछकर किसी को छुट्टी दूंगा...

नहीं सर मेरा वो मतलब नहीं था...लेकिन छुट्टी की जरूरत है 1 वीक की बस...

बॉस - अभी नहीं बाद में देखते हैं...और काम पे ध्यान दो... presentaion complete कर लो मीटिंग में दिखाना है...

मेरा मन तो किया बगल में रखा वो फोन इसकी गांड में डाल दूं...

मैं - अच्छा ठीक है सर...

मैं बाहर जाता हूं... फिर वही सड़ा सा काम करता हूं... फिर वही घर... वहीं मैगी खाकर सो जाना और फिर ऑफिस...

ऐसा लग रहा था ज़िन्दगी यहीं शुरू हुई है और यहीं खत्म भी हो जाएगी... ज़िन्दगी में कोई रोमांच ही नहीं है...
किससे अपने दिल की बात करूं... किससे अपने जज़्बात शेयर करूं... कोई है ही नहीं...

मैं कहीं समंदर के किनारे बैठा अपनी ज़िन्दगी के हाल पे रो रहा था... समंदर की लहरें मुझे छू छू कर वापस चली जा रही थी...
रेत पे अपना ही नाम लिखता और फिर समंदर की लहरें उसे मिटा देती...
काफ़ी देर सोचता रहा सोचता रहा फिर सोचा थोड़ा भीग ही लेता हूं...

मैं अपना बैग और जूते सूखे रेत पर रख कर पानी की तरफ बढ़ने लगा...अचानक से देखता हूं कि... कोई लड़की पानी में डूब रही थी...
मैं ज़ोर से भागा उसकी तरफ़ और पानी में झल्लांग लगा दी... और उसे जैसे ही पकड़ा निकालने के लिए... उसने झट से हाथ छुड़ाया और मुझ पर चिल्लाने लगी...

अबे चूतिए क्या कर रहा है... नहाने देगा की नहीं...

अरे बहनचोद मैं सोचा साली डूब रही है...और अपनी जान जोख़िम में डाल कर उसे बचाने के लिए दौड़ा... ये साली मुझ पर ही चिल्ला रही है...

मैडम मैं सोचा कि तुम डूब रही हो... इसलिए बचाने आ गया...
लड़की - अबे घुटनें तक पानी में कौन डूबता है...अकेला देख कर लाइन मारने आ गए तुम...निकल तुझे तो बताती हूं...

यहां साला अजीब बवाल है...तू मर मैं तो जा रहा हूं...

मैं वहां से निकल कर बाहर चाय की दुकान पर बैठ गया...

ज़िन्दगी में अब और कितना जलील होना पड़ेगा बस यही सोच रहा था...

फिर वो लड़की भी आती है चाय की दुकान पे...

अरे तुम वही हो ना जो अपनी जान जोख़िम में डाल कर मुझे बचा रहे थे... अच्छा बहाना था किसी को छेड़ने का....

मैंने कहा... अच्छा ये बता तुम लड़कियों को हमेशा ये क्यों लगता है कि हर लड़का तुम पर लाइन ही मारने कि कोशिश करता है...
मै हर लड़के की तरह नहीं जो कहीं भी पिघल जाऊं... शख्त लौंडा हूं... और रही बात छेड़ने की ज़िन्दगी ने मेरे साथ इतनी छेड़खानी की है कि मेरा सौख ही ख़त्म हो गया किसी को छेड़ने का... तुम्हारी जैसे लड़की को तो बिल्कुल भी नहीं...

लड़की - बड़े परेशान हो... ज़िन्दगी से इतनी शिकायतें...
मैंने कहा - लेकिन हमदर्दी मत दिखाओ...
लड़की - अरे नहीं हमदर्दी नहीं दिखा रही... मैं तो बस मरहम लगा रही तुम्हारे जख्मों पर...
ज़िन्दगी को ज़िंदा दिल की तरह जियो तो ज़िन्दगी भी खुश रहती है...

वैसे मेरा नाम आंचल है...तुम्हारा...
रोहन चाय पियोगी...
आंचल - बिल्कुल...

काफ़ी देर बात करते रहे हम दोनों... हसी मज़ाक भी करते करते समय कब गुज़र गया मालूम ही ना पड़ा...

मैंने कहा - यही पास में रहता हूं...और तुम...
आंचल - मैं थोड़ा दूर...चलो मैं तुम्हे घर छोड़ देती हूं...
रोहन - नहीं मैं चला जाऊंगा...
आंचल - अरे चलो भी...

वो मुझे अपनी कार से घर तक छोड़ती है और फिर चलीं जाती है...

अरे मैंने तो नंबर लिया ही नहीं...

फिलहाल घर जाता हूं... आराम से कपड़े बदलकर खाना खाकर लेट जाता हूं...

आज अच्छा लग रहा था...आज इस मुरझाए हुए चेहरे पे थोड़ी खुशी दिख रही थी...मस्त सो जाता हूं...

दूसरे दिन...

फिर तैयार होता हूं...अच्छे कपड़े पहनकर...थोड़ा स्मार्ट बन कर... ऑफिस जाता हूं...

सब मुझे घूर कर देखते हैं कि आज तो ये लड़का बदला बदला सा क्यों हैं...
तरुण - क्या भाई आज तो चेहरे पे अलग ही चमक है... बड़े स्मार्ट बनकर आए हो बे क्या बात है...
मैंने कहा - कुछ नहीं यार... बस ऐसे ही सोचा आज कुछ अलग करते हैं तो आ गया...

आज पूरा दिन जल्दी जल्दी काम ख़त्म कर...फिर वही समंदर के किनारे चाय की दुकान पे बैठ जाता हूं... सोचा शायद आज फिर से मुलाक़ात हो जाए...

कुछ समय बीतने के बाद वो लड़की पीछे से कंधे पे हाथ रखती है बोलती है...

हैलो रोहन
मैं - ओ हाय
आंचल - क्या बात है छोरे आज तू स्मार्ट बनकर आया है...
मैं - अच्छा ऐसा क्या...मैंने सोचा तुम दोबारा मिलोगी ही नहीं...

आंचल - मालूम था तू यही मेरा इंतजार कर रहा होगा... इसलिए मैं आ गई तेरे साथ चाय पीने...तो फिर चाय पीते हैं...
चाय पीने के बाद काफी देर हम दोनों खूब बातें की... फिर कहीं रेस्तरां में खाना खाते हैं... और फिर कार में बैठकर थोड़ा घूमते हैं...हम दोनों आज बहुत थक गए थे...

गाना भी कार की स्पीड की तरह धीरे धीरे चलता रहता है...

लग जा गले की फिर ये हसी रात हो ना हो...
शायद फिर इस जनम में मुलाक़ात हो ना हो...

हम दोनों थोड़ा sad हो गए थे... धीरे धीरे उसने अपना हाथ मेरे हाथ पर रख दिया... और उंगलियों को दबाने लगी...मुझे जैसे झटका सा लगा हो... सांसे और धड़कन कि रफ़्तार बढ़ गई थी... वो मुझे देखे जा रही थी... फिर मुझे अपनी अोर खींचती है कसकर.. और अपनी समंदर सी आंखों में मुझे डूबने के लिए मजबूर कर देती है...
धीरे धीरे अपने होंठों से मेरे होंठों को किस करती है... मैं फिर भी कांप रहा था...ऐसा लग रहा था कि ज़िन्दगी में पहली बार किसी को इतना नज़दीक से छुआ हो...
ऐसा लगा की ये 30 साल का वर्जिन लड़के का आज वर्जिनिटी का जो सर्टिफिकेट है उसकी डेट आज टूट जाएगी...

वो मुझे इस तरह से जकड़ लिया था मानों की कोई अजगर किसी शिकार को अपने वश में कर लिया हो...
हम दोनों बस एक दूसरे में खोए जा रहे थे...और जवालामुखी के लावे की तरह हमारे बदन टूट रहे थे...आज एहसास भी था प्यार भी था...और हवस भी...
वो धीरे धीरे सारे कारनामे कर जाती है और मैं खड़ा मोम कि तरह पिघलता जा रहा था...

कुछ देर बाद हम दोनों एक दूसरे से नज़र भी मिलाने में हिचकिचा रहे थे... फिलहाल वो मुझे घर छोड़ती है और मुस्कुरा कर चली जाती है...ज़िन्दगी के सफ़र में पहली सीढ़ी तो आज पार कर ली... आज लगा की मेरा दुनिया में आना थोड़ा सफल तो हुए...

मिलने का सिलसिला ऐसे ही चलता रहा... घूमना फिरना भी...

एक दिन वो मुझे अपने घर बुलाती है...

आंचल - तुम कल क्या कर रहे हो...
मैं - कुछ नहीं वहीं ऑफिस में चुतियापा...
आंचल - घर आओ ना कल घर पर कल पार्टी है...
मैं - छुट्टी नहीं है... गांडू बॉस छुट्टी नहीं देगा...
आंचल - कोशिश करों... कल पापा का बर्थडे है...तो इसी खुशी में छोटी सी पार्टी है... तू आएगा अच्छा लगेगा...
मैं - ठीक है...

दूसरे दिन ऑफिस में...

मै बैठा काम कर रहा था तभी...

तरुण - क्यों बे तू कहां है आज कल... कोई पता नहीं...
मैं - अरे कुछ नहीं यार ऐसे ही...
तरुण - भोसड़ी के बताएगा या नहीं...
मैं - अबे एक लड़की फसी है... तो आज कल उसी के साथ busy रहता हूं... बड़ी ख़ूबसूरत है...जैसे जन्नत की माल...

तरुण - वाह बेटा.. और तू आज बता रहा है पार्टी तो बनती है...गांडू
मैं - अरे पार्टी से याद आया... कल उसके घर पार्टी है चलेगा...और छुट्टी भी लेना है रुक बॉस से बात करता हूं छुट्टी के लिए...

सर अंदर आ जाऊं...
बॉस - अब कितना अंदर आएगा बोलो...
सर कल छुट्टी चाहिए बहुत जरूरी काम है...
बॉस - ठीक है लेकिन बस कल...
हां सर बस कल ही...
बॉस - ठीक है...

दूसरे दिन पार्टी में जाता हूं तरुण के साथ... वहां उसे आंचल से मिलवाता हूं... और फिर हम लोग ड्रिंक करते है ख़ूब...

आंचल - तुम्हारा ऑफिस में काम कैसा चल रहा है...
मैं नशे में - कैसा चल रहा है क्या... गांड फटी पड़ी है... तुम्हे मालूम है चार साल हो गए अभी तक घर नहीं गया...
आंचल - क्यों...
तरुण - अरे हमारा बॉस इतना बड़ा वाला चुतियापा है... भोसड़ी का छुट्टी ही नहीं देता गांडू...
आंचल - तुम्हारा बॉस गांडू है... बड़ा कमीना बॉस है तेरा तो.... ऐसा कौन करता है...
मैं - अरे तुम भी गाली देती हो वाह... हां यार मेरा बॉस कुत्ता है... कमीना है... निठल्ला है... अंडे जैसे शक्ल का... मन करता है फ्राई कर के खा जाऊं...बहनचोद है... मादरचोद है...
आंचल - तेरा बॉस बहनचोद गांडू हिहिहि...
तरुण - छोड़ यार उसके चक्कर में अपनी  पार्टी क्यों ख़राब करें...अच्छा uncle जी कहा हैं... बुलाओ केक काटें... सारे मेहमान कब से इतंजार कर रहें हैं....
आंचल - आते होंगे पापा से अभी मिलवाती हूं...

हम तीनों डांस कर रहे थे मस्त...
तभी तरुण बोलता है...
ओए बहनचोद...ये बॉस चूतिया इधर क्या कर था है...
मैं - ओह तेरी साला इधर भी मारने आ गया... सारा नशा ही उतर गया...इसको तो बोला था कि मेरे घर वाले आ रहे हैं... और चूतिया यहां मुझे देखेगा तो बवाल कटेगा...

तभी आंचल...
हैलो डैड रोहन देखो मेरे पापा आओ मिलवाती हूं...
रोहन - ओहह बहनचोद ये तेरे पापा है... मन में सोचा...
तरुण - अबे चूतिए कहां फसा रखा है मुझे... मैं चूतिया था... जो तुम्हारे चक्कर में आ गया....

हम दोनों भागने वाले ही थे तभी...
आंचल - रोहन मिलो मेरे पापा से... मेरे दुनिया के सबसे अच्छा पापा...
मैं - नज़र मिलाऊं तो मिलाऊं कैसे...
आंचल - रोहन इधर देखो तो उसने पकड़ कर मोड़ दिया मुझे...
मैं - हैलो सर हैप्पी बर्थडे...जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनाएं...
बॉस - मुझे देखे... हम बॉस को... और आंचल हमदोनो को...

बॉस - तू यहां क्या कर रहा है... तेरे तो घर वाले आए हैं ना...
मैं - आएं हैं ना सर वो घर पर है...
बॉस - आंचल तुम इसे कैसे जानती हो...
आंचल - पापा आप रोहन को जानते हो...
मैं - आ आ आंचल ये ही मेरे बॉस हैं.. इनके ही ऑफिस में मै काम करता हूं...
आंचल - ओह गुस्से भारी नजर से... और गुस्सा हो भी क्यों ना... इतनी गाली जो दी है...अपने ही पापा को...
आंचल - मतलब मेरे पापा तुम्हारे बॉस हैं...

आंचल की मानो फट गई हो और तरुण और मैं तो शर्म के मारे मुंह छिपाए बैठे हैं...

बॉस - आंचल तुमने बताया नहीं...
आंचल - पापा ये मेरे दोस्त हैं... नहीं थे...
बॉस - तुझे यही लड़का मिला दोस्ती करने के लिए वो भी इतना नालायक... आज के बाद मिलना बंद तुम्हारा इससे...

मैं - आंचल सुनो यार तुम्हें पहले बताना चाहिए ना कि ये चूतिए अरे मेरा मतलब मेरे बॉस तुम्हारे पापा है...
आंचल - तू चुप रहे... बात मत कर...तेरे चक्कर में मैंने अपने पापा को कितना कुछ बोल दिया... साले तू गांडू है... नहीं मै गांडू हूं... मैं चूतिया हूं... हाय मैंने क्या कर दिया...

अब हम और तरुण दोनों आराम से पीछे के रास्ते से निकलते हैं...
तरुण - अरे भाई भूक लगी है कुछ खा तो लेते हैं ...
मैं - अबे साले यहां गांड फटी पड़ी है... तुझे खाने की लगी है...

हम दोनों चले जाते हैं...

बस दिल में ये था कि अब लड़की भी गई और जॉब भी...
दारू पीकर आराम से घर पे सो जाता हूं...

सुबह आंचल को कॉल करता हूं लेकिन वो उठाती नहीं...
फिर ऑफिस जाता हूं...और मेरा बॉस बस भरा पड़ा था... कुछ बोलने के लिए...
मेरे जाते ही उसने केबिन में बुलाया और खूब सुनाया... इतना कि जब तक मेरी गांड ना फट जाए...
बॉस - और आज के बाद छुट्टी के लिए मुझसे बोलना मत... और मेरी बेटी से दूर रहना...
मैं कुत्ते जैसी शक्ल बनाए बाहर जाता हूं और काम करने लगता हूं...तरुण तो बॉस से नज़र ही नहीं मिला रहा था... उसके दिल में बस मेरे लिए प्यार भरे शब्द निकाल रहे थे...

मैं रोज़ वहीं समंदर के किनारे जाकर बैठा रहता... अब दिल थोड़ा उदास रहने लगा था...आंचल की याद आ रही थी... चाय पीने में भी मज़ा नहीं आ रहा था...फोन भी नहीं उठा रही थी...

दूसरे दिन ऐसे ही बैठा रहा...तभी पीछे से किसी का हाथ मेरे कंधे पे...
क्यों बे गांडू तू रोज़ यहां क्यों आता है....
मैं मुड़ कर देखता हूं तो आंचल...
ओह बहनचोद तू फोन क्यों नहीं उठा रही थी माफी मांगने के लिए कब से फोन कर रहा था...
आंचल - मैं रोज़ आती थी देख रही थी कि तू कब तक यहां आता है...

फिर हम दोनों बात करते हैं... मैं माफी भी मांगता हूं यार मुझे नहीं मालूम था उस समय....
आंचल - साले मुझे भी तो नहीं मालूम था... चल कोई ना मज़े करतें हैं...

हम दोनों फिर पहले जैसे घूमते फिरते हैं...सबकुछ पहले जैसे ही...ना कोई शिकवा ना कोई शिकायत...

धीरे धीरे ऑफिस में थोड़ा सीरीयस होकर काम पर ध्यान देता हूं...

बॉस को मीटिंग में जाना था एक दिन...लेकिन उनकी तबीयत ख़राब हो गई थी... वो नहीं जा पाते और प्रेजेंटेशन वहां सबमिट करना था...
बॉस थोड़ा परेशान हो गए थे... प्रेजेंटेशन को लेकर...अगर ये सबमिट नहीं हुआ तो कंपनी लॉस में चली जाएगी लेकिन वो इस हालत में नहीं थे कि वो ऑफिस जा सकें...
ऑफिस में कोई नहीं था जिससे वो बोल पाते...

उन्होंने मुझे फोन लगाया और बताया...

मैंने कहा ठीक सर मैं कोशिश करता हूं... आप ख़्याल रखो...
मैं दो दिन में रात दिन एक कर पूरा प्रेजेंटेशन तैयार करता हूं... और दूसरे दिन मीटिंग में जाकर सारे क्लाइंट को समझा कर अपना प्रेजेंटेशन सबमिट करता हूं...

मैं डर गया था कि था कि कहीं ख़राब ना हो गया हो...

दूसरे दिन...

बॉस आते हैं ऑफिस और सबके सामने मुझे बोलते हैं कि केबिन में आओ...
मैं डर गया था कि लगता है सब गलत हो गया नौकरी तो गई अब...बहनचोद...

मैं अंदर जाता हूं... बॉस ने मुझे एक लेटर दिया बोले खोलो इसे और पढ़ो...
मैंने सोचा कि निकालने का लेटर है मनहूस सा शक्ल बनाए बोला...सर बाद में पढ़ता हूं...
बॉस - अभी पढ़ो...
मैं खोलता हूं... पढ़ता हूं...पढ़ते पढ़ते मैं shoked ओह बहनचोद ये प्रमोशन लेटर है...कहीं गलती से किसी और का... मुझे तो नहीं दे दिया...
बॉस - क्या हुआ...
मैं - सर ये क्या है समझ में नहीं आ रहा... शायद गलती से आपने दे दिया...
बॉस - नहीं तुम्हारा प्रमोशन हो गया है...तुमने जो प्रेजेंटेशन दिया... हमारे कम्पनी को बहुत बड़ा ऑफर मिला है और सब बहुत खुश हो गए थे...

मैं तुम्हें गलत समझ रहा था और तुमने हमारी कंपनी को बचा लिया तुम्हारी मेहनत का फल है...

ये सब देखकर मेरे आंखों में आशु भी नहीं आ रहे थे... बहनचोद यकीन नहीं हो रहा था जैसा कोई सपना देख रहा हूं...

बॉस ने बाहर सबके सामने पूरा लेटर पढ़ा और बहुत appriciate किए... सबने खूब ताली बजाई...अच्छा लगा मुझे भी... और फिर बॉस ने छुट्टी के लिए भी बोल दिया...

बॉस - कल से तुम घर जा रहे हो छुट्टी पर... एक महीने के लिए... आराम से जाओ एन्जॉय करो...

अब छुट्टी की बात सुनकर वाकई मेरे आंखो में आशु आ गए... मैं अब और खुश हो गया कि मुझे अब घर जाना है... मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था...

मैं बॉस को शुक्रिया बोलता हूं... पहली बार बॉस के लिए मुझे भी प्यार आ रहा था...

अब ज़िन्दगी के सफ़र में थोड़ा हमसफ़र की कमी थी जो आज आंचल ने पूरी कर दी...

वो कहते हैं ना...

कभी कभी सोचता हूं...तुम कोई ख़्वाब नहीं हक़ीक़त ही हो जाते...
मेरी ज़िन्दगी के सफ़र में... तुम मेरे हमसफ़र हो जाते...

और आख़िर मैं घर के लिए रवाना हो जाता हूं...

बस इतनी सी थी कहानी...









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हर ख़्वाब हक़ीक़त हो जाए ...ये जरूरी तो नहीं... हर मोहब्बत पूरी हो जाए ...ये जरूरी तो नहीं... हम तुम्हें पसंद करतें हैं ...ये और बात है... त...