थोड़ा इंतजार करो न...
कुछ देर बैठो हमारे संग
थोड़ी बात करो ना...
यूँ जाकर करोगे भी क्या
कुछ सुनाओ हाल अपना, और थोड़ा प्यार करो ना...
हटाओ पर्दे शर्म हया के इन पलकों से
नज़रो को उठाओ और नैनों से वार करो ना...
यूँ मुस्कुराओं ना हमें देखकर ऐ मेरे हमराही
हम तो शरीफ़ हैं, हमें यूं हीं बदनाम करो ना...
अच्छा आओ चलते हैं दिल के आशियाने मेँ, देखो तुम कहाँ हो
अब तो ख़ुश हो, मन को यूं हीं उदास करो ना...
अच्छी लगती है मुझको चेहरे पे मुस्कान तुम्हारी
अब थोड़ा हँस भी दो, हमेँ यूं हीं परेशांन करो ना...
आशीष गुप्ता...
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