उस पेड़ की डाली पर एक पंछी का बसेरा था...
तिनका तिनका से बनाया हुआ उसका एक प्यारा सा घर था...
उसके घर में भी एक परिवार हुआ करता था...
उस परिवार में भी खुशहाली के दो चार पल का प्यार गुलज़ार हुआ करता था...
आज हमने अपनी घर की सजावट के लिए किसी का घर तोड़ दिया...
आज उस पंछी का घर किसी ने बड़ी बेहरहमी से तोड़ दिया...
जिस पेड़ ने हिफ़ाजत किया उस छोटे से परिवार का...
जिस डाली ने रखवाली की उस नन्हें से घरबार का...
उस पेड़ की टहनी को हमने बस यूं हीं तोड़ दिया...
अपना घर सजाने के लिए कितने पंछियों का घर तोड़ दिया...
आशीष गुप्ता
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