Saturday, 28 April 2018

नया साल...



सोचते-सोचते कब शाम हो गयी, पता ही नही चला...
देखते-देखते पुराना साल कब नया हो गया, पता ही नही चला...

जब नया साल आ ही गया है तो, खुल कर खूब एन्जोय करते है...
दोस्तों क साथ मिलकर थोड़ी मुलाकात करते हैँ...

पुरानी यादें, पुराने दोस्त, हमेशा की तरह आज भी वही है...
नया दिन बदला है, नई तारीख बदली है...
मगर हम भी हमेशा की तरह आज भी वही है...

शुक्रगुजार हैँ हम उस ज़िन्दगी का, जिनसे ज़िन्दगी में एक नया मोड़ आया है...
मेरे लिए मेरे घर से, अपनो का प्यार आया है...

यह साल मेरे लिए कुछ खास बन रहा है...
आप जैसा दोस्त इस साल मिल रहा है...

कुछ दोस्त मिले तो, कुछ दोस्त बिछड़ गए इस साल...
कुछ सपने सच हुए तो, कुछ टूट गए इस साल...

वो दौर कुछ और था, ये दौर कुछ और है...
वो दिन कुछ और था, आज का दिन कुछ और है...

अब तो साल भी नया है, दिन भी नया है...
ज़िन्दगी को जीने का एहसास भी नया है ...

मंजिल भी नया है, रास्ता भी नया है...
उस मुकाम तक पहुँचने के लिए, हमारा अंदाज भी नया है...

वो दिन भी आयेगा, जब दुनिया याद करेगी...
इस बन्दे को दुनिया सलाम भी करेगी...

आशीष गुप्ता

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