Wednesday, 29 August 2018

याद

तेरी यादों के सहारे ये दिन कब शाम हो गई...
पता ही नहीं चला कब बदल गरजा
और बरसात हो गई...

आशीष...

No comments:

Post a Comment

हर ख़्वाब हक़ीक़त हो जाए ...ये जरूरी तो नहीं... हर मोहब्बत पूरी हो जाए ...ये जरूरी तो नहीं... हम तुम्हें पसंद करतें हैं ...ये और बात है... त...