बहुत दिनों से सोच रहा था कि आज कुछ लिख दूं...
गर इजाज़त हो तुम्हारी तो एक ग़ज़ल ही लिख दूं...
तुम कहो तो दिन को रात भी लिख दूं
अपने दिल के सारे जज़्बात भी लिख दूं...
प्यार भी लिख दूं मोहब्बत भी लिख दूं...
चेहरे पे तेरी हर मुस्कुराहट को लिख दूं...
तू आए तो कदमों की आहट भी लिख दूं...
तू कह दे तो सांसों में सांसे भी लिख दूं...
तू नज़रे झुकाए तो शर्माना भी लिख दूं...
तू पलकें उठाए तो आशिकाना भी लिख दूं...
सागर से जो बहता वो रवानी भी लिख दूं...
आंखों से जो निकले वो पानी भी लिख दूं...
हवाएं भी लिख दूं बरसात भी लिख दूं...
तू कह दे तो धड़कन पे तेरा नाम ही लिख दूं...
आशीष गुप्ता...
गर इजाज़त हो तुम्हारी तो एक ग़ज़ल ही लिख दूं...
तुम कहो तो दिन को रात भी लिख दूं
अपने दिल के सारे जज़्बात भी लिख दूं...
प्यार भी लिख दूं मोहब्बत भी लिख दूं...
चेहरे पे तेरी हर मुस्कुराहट को लिख दूं...
तू आए तो कदमों की आहट भी लिख दूं...
तू कह दे तो सांसों में सांसे भी लिख दूं...
तू नज़रे झुकाए तो शर्माना भी लिख दूं...
तू पलकें उठाए तो आशिकाना भी लिख दूं...
सागर से जो बहता वो रवानी भी लिख दूं...
आंखों से जो निकले वो पानी भी लिख दूं...
हवाएं भी लिख दूं बरसात भी लिख दूं...
तू कह दे तो धड़कन पे तेरा नाम ही लिख दूं...
आशीष गुप्ता...
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