Tuesday, 29 January 2019

चेहरा...

ना जाने कियूं ये एहसास मुझे हर-बार होता है...
जिस चेहरे की तलाश होती है, वो चेहरा मेरे आस-पास ही होता है...

लाख कोशिश कर लो कि, आज वो चेहरा ना दिखे...
मगर ऐसा लगता है कि, आँखों को तो बस उसी का ही इंतजार होता है...

वो चेहरा भी कितनो की भीड़ में मानो, कितना अलग दिखता है...
जैसे लगता है कि रात की चांदनी में वो चांद सबसे अलग दिखता है...

ख़ूबसूरत होती है उस चेहरे की हर एक अदा,
जो महसूस दिल को होता है...
नज़रों को झुकना, पलको को उठाना, फिर होंठो से मुस्कुराना, ये अंदाज भी उस चेहरे का कितना लाज़वाब होता है...

आशीष गुप्ता...

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