Saturday, 22 August 2020

मेरी ज़िन्दगी की कुछ अनसुलझी कहानी...18+


पिछले चार साल से मैं घर नहीं गया... कभी ऑफिस से छुट्टी ही नहीं मिल पाती थी...दिन भर ऑफिस में काम करो... उसके बाद घर जाकर ख़ुद के लिए काम करो... बस ऐसे ही ज़िन्दगी चल रही थी... ना कोई खास दोस्त...ना कोई गर्लफ्रेंड्स....
30 साल का वर्जिन लड़का जिसकी उम्र के साथ- साथ इच्छाएं भी खत्म हो जा रहीं थी...

मिले भी तो कैसे यार... चूतिया जैसी शक्ल... लड़की कहां से भाव देगी...
कभी गलती से किसी लड़की से बात भी कर लो तो ऑफिस वाले बीच में राहु बन के आ जातें हैं...

अरे बात बाद में कर लेना काम बहुत सारा है...

मन में सोचा...
बहनचोद 5 साल से काम ही तो कर रहा हूं... काम कर-कर के कामवासना से कोषों दूर हो गया हूं... जी करता है बहनचोद जॉब ही छोड़ दूं....

और ऑफ़िस में बॉस तो सारी सुन्दर कलियों को केबिन में बुलाकर बढ़िया - बढ़िया ज्ञान पेलते रहते हैं...

मेरा दोस्त तरुण...
ओए क्या कर रहा है... कितना काम करेगा... इधर तो आ...

मैं यानी रोहन - गांड मरा रहा हूं... तू भी मार ले... बॉस ने मार रखी है तू भी ले ले...
तरुण - गुस्सा क्यों हो रहा है चल चाय पीतें हैं...

चाय की दुकान पे...

भाई चाय देना दो मस्त दूध अदरक डाल के...

तरुण - और बता इतना फ्रस्टेड क्यों है... सड़े टमाटर सी शक्ल बना रखी है...
कुछ नहीं यार काम कर - कर के दिमाग़ है ख़राब हो गया है... प्रोफेशनल जॉब में पर्सनल लाइफ की तो व्हाट लगी पड़ी है...
ज़िन्दगी झंड हो रखी है... घर नहीं जा पा रहा... छुट्टी इतनी बची है क्या गांड में डालूंगा...

तरुण - कोई ना छुट्टी के लिए मेल कर दे और प्यार से बॉस से बात करना...

चाय वाले भाई...

लो भाई चाय...चाय पीते ही...मैंने बोला
क्या बे चाय की भी मां चोद रखी है ऐसे चाय बनती है...

मूड ही ख़राब कर दिया...

तरुण - रहने दे पैसे मैं देता हूं...
मैं - हां तू ही दे मैं तो बस गांड ही दूंगा...

उसी समय प्रिया आ जाती है तरुण की गर्लफ्रेंड...

प्रिया - अरे तुम दोनों अकेले चाय पी रहे हो मुझे बुलाया भी नहीं...
मैंने कहा - अरे भाई साहब मेडम के लिए वैसे ही चाय बनाकर देना...
और बताओ तुम्हारी सहेली नहीं दिख रही उसे कहा छोड़ दी...
प्रिया - क्यों बड़ा हाल चाल ले रहे हो पसंद है क्या...
रोहन - नहीं ऐसे ही पूछ रहा था...चलो तुम लोग चाय पियो हम चलते हैं...

तभी जैसे ही थोड़ी दूर गया मैं...

प्रिया की सहेली किसी से बातें कर रही थी...

हाय क्या चल रहा है मैडम...
कुछ नहीं वो जो लड़का अभी गया ना उसने मुझे चॉकलेट दिया खाओगे...

रोहन - ओह बहनचोद यहां भी कोई हाथ मार रहा है...
इसकी तो...ओए रुक इधर आ...
लड़का आता है...
क्या बे तेरी क्या लगती है ये...
लड़का - दोस्त है...
रोहन - अबे चूतिए दिन भर में कितनों को चॉकलेट देगा...किसी को तो छोड़ दिया कर... घर में मां बहन नहीं हैं क्या तेरे... दिन भर पराई लड़की पे हाथ मारता रहता है...
ये ले चॉकलेट पकड़ और निकल गांडू...

निकी - तूने क्यों भगाया उसे और तुझे क्यों इतनी जलन हो रही है...
रोहन - अबे तेरी कोई सेल्फ रेस्पेक्ट है कि नहीं... हर किसी से कुछ भी ले लेती है... और ऐसे चूतियों को मुंह ना लगाया कर...
निकी - तुम जाओ मुझे बात नहीं करनी...
रोहन - हां जा रहा हूं... वैसे भी तेरे जैसे से कौन बात करना चाहेगा...

शाम को 7 बजे घर पहुंचता हूं... घुसते ही बॉस का फोन आता है...
बॉस - अरे वो मैल चेक कर लो और रिपोर्ट बनाकर मुझे भेजो जल्दी...
रोहन - सर अभी कुछ बना खा लूं...
बॉस - बाद में खा लेना ये काम बहुत इंपोर्टेंट है... पहले ये करो...

रोहन - बहनचोद इनको भी चैन नहीं आता... इंसान घर पहुंचा है... थका हारा है... कुछ देर आराम करने दो लेकिन नहीं... इनके गांड में चुल्ल भरी पड़ी है... सबकुछ तुरंत चाहिए...

जल्दी - जल्दी रिपोर्ट बनाता हूं...और फॉरवर्ड करता हूं...
बिना कुछ खाए और बिना कपड़े बदले ही सो जाता हूं...

अचानक से बड़ा ख़ूबसूरत सा सपना आता है...

एक लड़की मुझे अपने बाहों में लिए आंखों में आंखे डालकर बातें कर रही है... हम दोनों बस एक दूसरे को देख रहे हैं...मैंने उसे ख़ूब जकड़कर पकड़ रखा था... उसके बालों को सहलाता... उसके होंठों को निहारता...बहुत ही अच्छा लग रहा था...ऐसे लगा कि हवा में उड़ता ही जा रहा हूं...बारिश में भीगता ही जा रहा हूं... मैं जैसे ही उसके होंठों को अपने होंठों से छुआ... अचानक से आवाज़ आती है...

भो... भो... भो...
तुरंत मेरी नींद खुलती है...

ओह बहनचोद... रॉकी तू यहां क्या कर रहा है...
उसने तो सू.. सू.. भी कर रखा था मेरे ऊपर और मुझे लगा बरसात हो रही है बहनचोद....

साले सपने में तू मेरे साथ था... छी मूड ही ख़राब कर दिया...

रॉकी मुझे गुस्से वाली नज़र से देखे जा रहा था... देखे जा रहा था...
ऐसा लग रहा था उसे कि... मैंने उसका रेप कर दिया हो....

घड़ी देखता हूं...ओह शिट 11 बज गए...

आज तो मेरी लंका लग जाएगी ऑफिस में...
कैसे तैसे बालवाल सही कर के ऑफिस पहुंचता हूं...

बॉस सामने...
आज फिर इतना देर... ऑफ़िस तुम्हारे बाप का है... जो कभी भी मुंह उठाए चले आते हो...

मुझे कुछ बोलने का मौका ही ना दिया गांडू... बोले ही जा रहा है... बोले ही जा रहा है...घोर बेइज्जती कर दी सबके सामने... मैं सीट पर बैठता हूं...और तरुण आता है...

क्या बे तेरा रोज़ का हो गया है देर से आना... कभी तो जल्दी आ जाया कर...
रोहन - अब तू ये मूड की मां मत चोद...
उस चूतिए ने रात भर रिपोर्ट बनवाए...दिन में थोड़ा लेट हो गया तो...आसमान सर पे उठा लिया है... अबे थोड़ा तो प्यार जताए... हमेशा मुंह में लंड दिए रहता है...

तरुण - अबे साले ये कुत्ते के बाल तेरे शर्ट पे कैसे लगा है... क्या बे कुत्ते जैसे बदबू मार रहा है... नहाया नहीं क्या...

रोहन - कुछ नहीं बे छोड़ वो रॉकी था...सो गया था साथ में...

अच्छा ये बता छुट्टी के लिए मैल करूं क्या...
तरुण - अभी मत कर मूड सही नहीं है बॉस का...

उसी समय प्रिया आती है...
हैलो मुझे तो छुट्टी मिल गई 1 वीक के लिए...

तुरंत मैं भी बॉस के पास जाता हूं...
सर कुछ बात करनी थी...

बॉस - आओ बोलो...
सर वो कह रहा था कि कुछ जरूरी काम आ गया है तो कुछ दिन के लिए छुट्टी चाहिए...
बॉस - क्या ज़रूरी काम आ गया है...
सर वो दादी की तबीयत ठीक नहीं है तो जाना पड़ेगा...
बॉस - बहाना मत मारो... जब देखो छुट्टी...कोई छुट्टी नहीं है अभी...
सर आपने तो प्रिया को छुट्टी दे दिया फिर मुझे क्यों नहीं...

बॉस - प्रिया के एग्जाम है...अच्छा ये बता मैं तुमसे पूछकर किसी को छुट्टी दूंगा...

नहीं सर मेरा वो मतलब नहीं था...लेकिन छुट्टी की जरूरत है 1 वीक की बस...

बॉस - अभी नहीं बाद में देखते हैं...और काम पे ध्यान दो... presentaion complete कर लो मीटिंग में दिखाना है...

मेरा मन तो किया बगल में रखा वो फोन इसकी गांड में डाल दूं...

मैं - अच्छा ठीक है सर...

मैं बाहर जाता हूं... फिर वही सड़ा सा काम करता हूं... फिर वही घर... वहीं मैगी खाकर सो जाना और फिर ऑफिस...

ऐसा लग रहा था ज़िन्दगी यहीं शुरू हुई है और यहीं खत्म भी हो जाएगी... ज़िन्दगी में कोई रोमांच ही नहीं है...
किससे अपने दिल की बात करूं... किससे अपने जज़्बात शेयर करूं... कोई है ही नहीं...

मैं कहीं समंदर के किनारे बैठा अपनी ज़िन्दगी के हाल पे रो रहा था... समंदर की लहरें मुझे छू छू कर वापस चली जा रही थी...
रेत पे अपना ही नाम लिखता और फिर समंदर की लहरें उसे मिटा देती...
काफ़ी देर सोचता रहा सोचता रहा फिर सोचा थोड़ा भीग ही लेता हूं...

मैं अपना बैग और जूते सूखे रेत पर रख कर पानी की तरफ बढ़ने लगा...अचानक से देखता हूं कि... कोई लड़की पानी में डूब रही थी...
मैं ज़ोर से भागा उसकी तरफ़ और पानी में झल्लांग लगा दी... और उसे जैसे ही पकड़ा निकालने के लिए... उसने झट से हाथ छुड़ाया और मुझ पर चिल्लाने लगी...

अबे चूतिए क्या कर रहा है... नहाने देगा की नहीं...

अरे बहनचोद मैं सोचा साली डूब रही है...और अपनी जान जोख़िम में डाल कर उसे बचाने के लिए दौड़ा... ये साली मुझ पर ही चिल्ला रही है...

मैडम मैं सोचा कि तुम डूब रही हो... इसलिए बचाने आ गया...
लड़की - अबे घुटनें तक पानी में कौन डूबता है...अकेला देख कर लाइन मारने आ गए तुम...निकल तुझे तो बताती हूं...

यहां साला अजीब बवाल है...तू मर मैं तो जा रहा हूं...

मैं वहां से निकल कर बाहर चाय की दुकान पर बैठ गया...

ज़िन्दगी में अब और कितना जलील होना पड़ेगा बस यही सोच रहा था...

फिर वो लड़की भी आती है चाय की दुकान पे...

अरे तुम वही हो ना जो अपनी जान जोख़िम में डाल कर मुझे बचा रहे थे... अच्छा बहाना था किसी को छेड़ने का....

मैंने कहा... अच्छा ये बता तुम लड़कियों को हमेशा ये क्यों लगता है कि हर लड़का तुम पर लाइन ही मारने कि कोशिश करता है...
मै हर लड़के की तरह नहीं जो कहीं भी पिघल जाऊं... शख्त लौंडा हूं... और रही बात छेड़ने की ज़िन्दगी ने मेरे साथ इतनी छेड़खानी की है कि मेरा सौख ही ख़त्म हो गया किसी को छेड़ने का... तुम्हारी जैसे लड़की को तो बिल्कुल भी नहीं...

लड़की - बड़े परेशान हो... ज़िन्दगी से इतनी शिकायतें...
मैंने कहा - लेकिन हमदर्दी मत दिखाओ...
लड़की - अरे नहीं हमदर्दी नहीं दिखा रही... मैं तो बस मरहम लगा रही तुम्हारे जख्मों पर...
ज़िन्दगी को ज़िंदा दिल की तरह जियो तो ज़िन्दगी भी खुश रहती है...

वैसे मेरा नाम आंचल है...तुम्हारा...
रोहन चाय पियोगी...
आंचल - बिल्कुल...

काफ़ी देर बात करते रहे हम दोनों... हसी मज़ाक भी करते करते समय कब गुज़र गया मालूम ही ना पड़ा...

मैंने कहा - यही पास में रहता हूं...और तुम...
आंचल - मैं थोड़ा दूर...चलो मैं तुम्हे घर छोड़ देती हूं...
रोहन - नहीं मैं चला जाऊंगा...
आंचल - अरे चलो भी...

वो मुझे अपनी कार से घर तक छोड़ती है और फिर चलीं जाती है...

अरे मैंने तो नंबर लिया ही नहीं...

फिलहाल घर जाता हूं... आराम से कपड़े बदलकर खाना खाकर लेट जाता हूं...

आज अच्छा लग रहा था...आज इस मुरझाए हुए चेहरे पे थोड़ी खुशी दिख रही थी...मस्त सो जाता हूं...

दूसरे दिन...

फिर तैयार होता हूं...अच्छे कपड़े पहनकर...थोड़ा स्मार्ट बन कर... ऑफिस जाता हूं...

सब मुझे घूर कर देखते हैं कि आज तो ये लड़का बदला बदला सा क्यों हैं...
तरुण - क्या भाई आज तो चेहरे पे अलग ही चमक है... बड़े स्मार्ट बनकर आए हो बे क्या बात है...
मैंने कहा - कुछ नहीं यार... बस ऐसे ही सोचा आज कुछ अलग करते हैं तो आ गया...

आज पूरा दिन जल्दी जल्दी काम ख़त्म कर...फिर वही समंदर के किनारे चाय की दुकान पे बैठ जाता हूं... सोचा शायद आज फिर से मुलाक़ात हो जाए...

कुछ समय बीतने के बाद वो लड़की पीछे से कंधे पे हाथ रखती है बोलती है...

हैलो रोहन
मैं - ओ हाय
आंचल - क्या बात है छोरे आज तू स्मार्ट बनकर आया है...
मैं - अच्छा ऐसा क्या...मैंने सोचा तुम दोबारा मिलोगी ही नहीं...

आंचल - मालूम था तू यही मेरा इंतजार कर रहा होगा... इसलिए मैं आ गई तेरे साथ चाय पीने...तो फिर चाय पीते हैं...
चाय पीने के बाद काफी देर हम दोनों खूब बातें की... फिर कहीं रेस्तरां में खाना खाते हैं... और फिर कार में बैठकर थोड़ा घूमते हैं...हम दोनों आज बहुत थक गए थे...

गाना भी कार की स्पीड की तरह धीरे धीरे चलता रहता है...

लग जा गले की फिर ये हसी रात हो ना हो...
शायद फिर इस जनम में मुलाक़ात हो ना हो...

हम दोनों थोड़ा sad हो गए थे... धीरे धीरे उसने अपना हाथ मेरे हाथ पर रख दिया... और उंगलियों को दबाने लगी...मुझे जैसे झटका सा लगा हो... सांसे और धड़कन कि रफ़्तार बढ़ गई थी... वो मुझे देखे जा रही थी... फिर मुझे अपनी अोर खींचती है कसकर.. और अपनी समंदर सी आंखों में मुझे डूबने के लिए मजबूर कर देती है...
धीरे धीरे अपने होंठों से मेरे होंठों को किस करती है... मैं फिर भी कांप रहा था...ऐसा लग रहा था कि ज़िन्दगी में पहली बार किसी को इतना नज़दीक से छुआ हो...
ऐसा लगा की ये 30 साल का वर्जिन लड़के का आज वर्जिनिटी का जो सर्टिफिकेट है उसकी डेट आज टूट जाएगी...

वो मुझे इस तरह से जकड़ लिया था मानों की कोई अजगर किसी शिकार को अपने वश में कर लिया हो...
हम दोनों बस एक दूसरे में खोए जा रहे थे...और जवालामुखी के लावे की तरह हमारे बदन टूट रहे थे...आज एहसास भी था प्यार भी था...और हवस भी...
वो धीरे धीरे सारे कारनामे कर जाती है और मैं खड़ा मोम कि तरह पिघलता जा रहा था...

कुछ देर बाद हम दोनों एक दूसरे से नज़र भी मिलाने में हिचकिचा रहे थे... फिलहाल वो मुझे घर छोड़ती है और मुस्कुरा कर चली जाती है...ज़िन्दगी के सफ़र में पहली सीढ़ी तो आज पार कर ली... आज लगा की मेरा दुनिया में आना थोड़ा सफल तो हुए...

मिलने का सिलसिला ऐसे ही चलता रहा... घूमना फिरना भी...

एक दिन वो मुझे अपने घर बुलाती है...

आंचल - तुम कल क्या कर रहे हो...
मैं - कुछ नहीं वहीं ऑफिस में चुतियापा...
आंचल - घर आओ ना कल घर पर कल पार्टी है...
मैं - छुट्टी नहीं है... गांडू बॉस छुट्टी नहीं देगा...
आंचल - कोशिश करों... कल पापा का बर्थडे है...तो इसी खुशी में छोटी सी पार्टी है... तू आएगा अच्छा लगेगा...
मैं - ठीक है...

दूसरे दिन ऑफिस में...

मै बैठा काम कर रहा था तभी...

तरुण - क्यों बे तू कहां है आज कल... कोई पता नहीं...
मैं - अरे कुछ नहीं यार ऐसे ही...
तरुण - भोसड़ी के बताएगा या नहीं...
मैं - अबे एक लड़की फसी है... तो आज कल उसी के साथ busy रहता हूं... बड़ी ख़ूबसूरत है...जैसे जन्नत की माल...

तरुण - वाह बेटा.. और तू आज बता रहा है पार्टी तो बनती है...गांडू
मैं - अरे पार्टी से याद आया... कल उसके घर पार्टी है चलेगा...और छुट्टी भी लेना है रुक बॉस से बात करता हूं छुट्टी के लिए...

सर अंदर आ जाऊं...
बॉस - अब कितना अंदर आएगा बोलो...
सर कल छुट्टी चाहिए बहुत जरूरी काम है...
बॉस - ठीक है लेकिन बस कल...
हां सर बस कल ही...
बॉस - ठीक है...

दूसरे दिन पार्टी में जाता हूं तरुण के साथ... वहां उसे आंचल से मिलवाता हूं... और फिर हम लोग ड्रिंक करते है ख़ूब...

आंचल - तुम्हारा ऑफिस में काम कैसा चल रहा है...
मैं नशे में - कैसा चल रहा है क्या... गांड फटी पड़ी है... तुम्हे मालूम है चार साल हो गए अभी तक घर नहीं गया...
आंचल - क्यों...
तरुण - अरे हमारा बॉस इतना बड़ा वाला चुतियापा है... भोसड़ी का छुट्टी ही नहीं देता गांडू...
आंचल - तुम्हारा बॉस गांडू है... बड़ा कमीना बॉस है तेरा तो.... ऐसा कौन करता है...
मैं - अरे तुम भी गाली देती हो वाह... हां यार मेरा बॉस कुत्ता है... कमीना है... निठल्ला है... अंडे जैसे शक्ल का... मन करता है फ्राई कर के खा जाऊं...बहनचोद है... मादरचोद है...
आंचल - तेरा बॉस बहनचोद गांडू हिहिहि...
तरुण - छोड़ यार उसके चक्कर में अपनी  पार्टी क्यों ख़राब करें...अच्छा uncle जी कहा हैं... बुलाओ केक काटें... सारे मेहमान कब से इतंजार कर रहें हैं....
आंचल - आते होंगे पापा से अभी मिलवाती हूं...

हम तीनों डांस कर रहे थे मस्त...
तभी तरुण बोलता है...
ओए बहनचोद...ये बॉस चूतिया इधर क्या कर था है...
मैं - ओह तेरी साला इधर भी मारने आ गया... सारा नशा ही उतर गया...इसको तो बोला था कि मेरे घर वाले आ रहे हैं... और चूतिया यहां मुझे देखेगा तो बवाल कटेगा...

तभी आंचल...
हैलो डैड रोहन देखो मेरे पापा आओ मिलवाती हूं...
रोहन - ओहह बहनचोद ये तेरे पापा है... मन में सोचा...
तरुण - अबे चूतिए कहां फसा रखा है मुझे... मैं चूतिया था... जो तुम्हारे चक्कर में आ गया....

हम दोनों भागने वाले ही थे तभी...
आंचल - रोहन मिलो मेरे पापा से... मेरे दुनिया के सबसे अच्छा पापा...
मैं - नज़र मिलाऊं तो मिलाऊं कैसे...
आंचल - रोहन इधर देखो तो उसने पकड़ कर मोड़ दिया मुझे...
मैं - हैलो सर हैप्पी बर्थडे...जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनाएं...
बॉस - मुझे देखे... हम बॉस को... और आंचल हमदोनो को...

बॉस - तू यहां क्या कर रहा है... तेरे तो घर वाले आए हैं ना...
मैं - आएं हैं ना सर वो घर पर है...
बॉस - आंचल तुम इसे कैसे जानती हो...
आंचल - पापा आप रोहन को जानते हो...
मैं - आ आ आंचल ये ही मेरे बॉस हैं.. इनके ही ऑफिस में मै काम करता हूं...
आंचल - ओह गुस्से भारी नजर से... और गुस्सा हो भी क्यों ना... इतनी गाली जो दी है...अपने ही पापा को...
आंचल - मतलब मेरे पापा तुम्हारे बॉस हैं...

आंचल की मानो फट गई हो और तरुण और मैं तो शर्म के मारे मुंह छिपाए बैठे हैं...

बॉस - आंचल तुमने बताया नहीं...
आंचल - पापा ये मेरे दोस्त हैं... नहीं थे...
बॉस - तुझे यही लड़का मिला दोस्ती करने के लिए वो भी इतना नालायक... आज के बाद मिलना बंद तुम्हारा इससे...

मैं - आंचल सुनो यार तुम्हें पहले बताना चाहिए ना कि ये चूतिए अरे मेरा मतलब मेरे बॉस तुम्हारे पापा है...
आंचल - तू चुप रहे... बात मत कर...तेरे चक्कर में मैंने अपने पापा को कितना कुछ बोल दिया... साले तू गांडू है... नहीं मै गांडू हूं... मैं चूतिया हूं... हाय मैंने क्या कर दिया...

अब हम और तरुण दोनों आराम से पीछे के रास्ते से निकलते हैं...
तरुण - अरे भाई भूक लगी है कुछ खा तो लेते हैं ...
मैं - अबे साले यहां गांड फटी पड़ी है... तुझे खाने की लगी है...

हम दोनों चले जाते हैं...

बस दिल में ये था कि अब लड़की भी गई और जॉब भी...
दारू पीकर आराम से घर पे सो जाता हूं...

सुबह आंचल को कॉल करता हूं लेकिन वो उठाती नहीं...
फिर ऑफिस जाता हूं...और मेरा बॉस बस भरा पड़ा था... कुछ बोलने के लिए...
मेरे जाते ही उसने केबिन में बुलाया और खूब सुनाया... इतना कि जब तक मेरी गांड ना फट जाए...
बॉस - और आज के बाद छुट्टी के लिए मुझसे बोलना मत... और मेरी बेटी से दूर रहना...
मैं कुत्ते जैसी शक्ल बनाए बाहर जाता हूं और काम करने लगता हूं...तरुण तो बॉस से नज़र ही नहीं मिला रहा था... उसके दिल में बस मेरे लिए प्यार भरे शब्द निकाल रहे थे...

मैं रोज़ वहीं समंदर के किनारे जाकर बैठा रहता... अब दिल थोड़ा उदास रहने लगा था...आंचल की याद आ रही थी... चाय पीने में भी मज़ा नहीं आ रहा था...फोन भी नहीं उठा रही थी...

दूसरे दिन ऐसे ही बैठा रहा...तभी पीछे से किसी का हाथ मेरे कंधे पे...
क्यों बे गांडू तू रोज़ यहां क्यों आता है....
मैं मुड़ कर देखता हूं तो आंचल...
ओह बहनचोद तू फोन क्यों नहीं उठा रही थी माफी मांगने के लिए कब से फोन कर रहा था...
आंचल - मैं रोज़ आती थी देख रही थी कि तू कब तक यहां आता है...

फिर हम दोनों बात करते हैं... मैं माफी भी मांगता हूं यार मुझे नहीं मालूम था उस समय....
आंचल - साले मुझे भी तो नहीं मालूम था... चल कोई ना मज़े करतें हैं...

हम दोनों फिर पहले जैसे घूमते फिरते हैं...सबकुछ पहले जैसे ही...ना कोई शिकवा ना कोई शिकायत...

धीरे धीरे ऑफिस में थोड़ा सीरीयस होकर काम पर ध्यान देता हूं...

बॉस को मीटिंग में जाना था एक दिन...लेकिन उनकी तबीयत ख़राब हो गई थी... वो नहीं जा पाते और प्रेजेंटेशन वहां सबमिट करना था...
बॉस थोड़ा परेशान हो गए थे... प्रेजेंटेशन को लेकर...अगर ये सबमिट नहीं हुआ तो कंपनी लॉस में चली जाएगी लेकिन वो इस हालत में नहीं थे कि वो ऑफिस जा सकें...
ऑफिस में कोई नहीं था जिससे वो बोल पाते...

उन्होंने मुझे फोन लगाया और बताया...

मैंने कहा ठीक सर मैं कोशिश करता हूं... आप ख़्याल रखो...
मैं दो दिन में रात दिन एक कर पूरा प्रेजेंटेशन तैयार करता हूं... और दूसरे दिन मीटिंग में जाकर सारे क्लाइंट को समझा कर अपना प्रेजेंटेशन सबमिट करता हूं...

मैं डर गया था कि था कि कहीं ख़राब ना हो गया हो...

दूसरे दिन...

बॉस आते हैं ऑफिस और सबके सामने मुझे बोलते हैं कि केबिन में आओ...
मैं डर गया था कि लगता है सब गलत हो गया नौकरी तो गई अब...बहनचोद...

मैं अंदर जाता हूं... बॉस ने मुझे एक लेटर दिया बोले खोलो इसे और पढ़ो...
मैंने सोचा कि निकालने का लेटर है मनहूस सा शक्ल बनाए बोला...सर बाद में पढ़ता हूं...
बॉस - अभी पढ़ो...
मैं खोलता हूं... पढ़ता हूं...पढ़ते पढ़ते मैं shoked ओह बहनचोद ये प्रमोशन लेटर है...कहीं गलती से किसी और का... मुझे तो नहीं दे दिया...
बॉस - क्या हुआ...
मैं - सर ये क्या है समझ में नहीं आ रहा... शायद गलती से आपने दे दिया...
बॉस - नहीं तुम्हारा प्रमोशन हो गया है...तुमने जो प्रेजेंटेशन दिया... हमारे कम्पनी को बहुत बड़ा ऑफर मिला है और सब बहुत खुश हो गए थे...

मैं तुम्हें गलत समझ रहा था और तुमने हमारी कंपनी को बचा लिया तुम्हारी मेहनत का फल है...

ये सब देखकर मेरे आंखों में आशु भी नहीं आ रहे थे... बहनचोद यकीन नहीं हो रहा था जैसा कोई सपना देख रहा हूं...

बॉस ने बाहर सबके सामने पूरा लेटर पढ़ा और बहुत appriciate किए... सबने खूब ताली बजाई...अच्छा लगा मुझे भी... और फिर बॉस ने छुट्टी के लिए भी बोल दिया...

बॉस - कल से तुम घर जा रहे हो छुट्टी पर... एक महीने के लिए... आराम से जाओ एन्जॉय करो...

अब छुट्टी की बात सुनकर वाकई मेरे आंखो में आशु आ गए... मैं अब और खुश हो गया कि मुझे अब घर जाना है... मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था...

मैं बॉस को शुक्रिया बोलता हूं... पहली बार बॉस के लिए मुझे भी प्यार आ रहा था...

अब ज़िन्दगी के सफ़र में थोड़ा हमसफ़र की कमी थी जो आज आंचल ने पूरी कर दी...

वो कहते हैं ना...

कभी कभी सोचता हूं...तुम कोई ख़्वाब नहीं हक़ीक़त ही हो जाते...
मेरी ज़िन्दगी के सफ़र में... तुम मेरे हमसफ़र हो जाते...

और आख़िर मैं घर के लिए रवाना हो जाता हूं...

बस इतनी सी थी कहानी...









Tuesday, 18 August 2020

काश तुम आ जाते...

आज मौसम कुछ बेईमान है काश तुम आ जाते...
मोहब्बत करते तुमसे और दोनों भीग जाते...
तुमसे लिपटकर मै अपने इश्क़ का इज़हार भी करता...
तेरे कपकपाते होंठों को छू कर मै जी भर के प्यार भी करता...
मै डूब जाता तेरे इश्क़ के समंदर में कुछ इस कदर की...
जान क़दमों में रख देता और खुद को फनाह भी कर जाता...

आशीष गुप्ता...

तुम्हारा नाम लिखा जाए...


चलो आज दिल की डायरी में कुछ अल्फाज़ लिखा जाए...
आज अपनी मोहब्बत का दूसरा अध्याय लिखा जाए...
लिखा जाए कुछ इबादत ऐसा जिसमें ख़ुशबू हो मोहब्बत की...
अपने हथेली पे आज तुम्हारा नाम लिखा जाए...

आशीष गुप्ता...

Sunday, 16 August 2020

अधूरी ख्वाहिश...

एक अधूरी ख्वाहिश है मेरी... आज तू इसे पूरी कर दें ...
मेरी ज़िन्दगी अधूरी है तेरे बिन...इस ज़िन्दगी को तू पूरी कर कर दे...
मैं भीग जाऊं तेरे इश्क़ में कुछ इस कदर...तू इतना प्यार कि बरसात कर दें...
तू मुझको ख़ुद में समा ले...और मुझे अपने इश्क़ में फना कर दें...

मेरी ज़िन्दगी है अधूरी तेरे बिन...इस ज़िन्दगी को तू आज पूरी कर कर दें...

मैं राह में खड़ा तेरा इंतज़ार करूं...  ख़ुद से भी ज्यादा तुझको जी भर के प्यार करूं...
मेरे हाथों में तेरा हाथ रहे...ज़िन्दगी के सफ़र में दो चार पल का साथ रहे...
मेरी ज़िन्दगी में तू जो अाई.... एक नई रोशनी है लाई...
पलकों पे मुझको जो बैठाया...मेरी आंख देख ये भर अाई...
मैं मांगू उस रब से आज बस एक ही दुआ...तेरी हर दुआ वो आज पूरी कर दें...

मेरी ज़िन्दगी है अधूरी तेरे बिन...इस ज़िन्दगी को तू आज पूरी कर कर दें...
तू मुझको ख़ुद में समा ले...और मुझे अपने इश्क़ में फना कर दें...

हम...

हम बेपरवाह हैं... खुद की परवाह नहीं करते...
हम तो शरीफ़ हैं...बेवजह किसी को परेशान नहीं करते...
कभी भी आज़मा लेना मेरी शराफ़त को तुम...भरी बाज़ार में...
हम ख़ुद ही लुट जातें हैं लेकिन...किसी को युं ही बदनाम नहीं करतें... 😎

Ashish Gupta

मोहब्बत की बरसात...

सोचते सोचते आज सुबह से शाम हो गई...
ख़्वाबों में तुमसे आज थोड़ी सी मुलाक़ात हो गई
मेरे जिश्म में तेरे जिश्म कि ख़ुशबू घुली कुछ इस कदर...
हम भीगते रहे और मोहब्बत की बरसात हो गई...

आशीष गुप्ता...

चांद तारें..

आज चांद तरे भी कुछ कुछ...बातें कर रहें हैं...
दूर आसमान से रोज़ तेरा...दीदार कर रहें हैं...
तू कब आएगी छत पर वो आज...टकटकी लगाएं बैठें हैं...
तेरी एक झलक पाने के लिए कब से तेरा...इंतजार कर रहें हैं...


आशीष गुप्ता....

मेरी ज़िन्दगी...

कभी सोचा भी नहीं था कि तुम आओगी...
मेरी ज़िन्दगी में एक रोशनी बनकर...
जब भी ख़ुद को अकेला पाता सफ़र में...
तुम साथ रहोगी मेरी परछाईं बनकर...

ये देख जमाना भी आज जल जाएगा...
तेरे इश्क़ में आज एक किताब लिखा जाएगा...
एक एक पन्ने पे बस ज़िक्र तेरा ही होगा...
सोच मोहब्बत में तेरे एक इतिहास लिखा जाएगा...


आशीष गुप्ता...

मुस्कान...

मेरी ज़िन्दगी भी तुमसे हैं मेरी सांसे भी तुमसे है...
मेरे चेहरे पे जो मुस्कान है वो मुस्कान भी तुमसे है...

आशीष गुप्ता

मेरे इश्क़...

ये मेरे इश्क़ तू नाराज़ मत होया कर
मोहब्बत तुमसे बेशुमार हैं यूं शक ना किया कर
ज़िन्दगी के सफ़र में तू ही मेरा हमसफ़र है
जान क़दमों पे रख दूं तेरे थोड़ा ऐतबार तो कर...

आशीष गुप्ता...

Thursday, 13 August 2020

मेरी मोहब्ब्त...

कभी सोचा भी नहीं था कि तुम आओगी...
मेरी ज़िन्दगी में एक रोशनी बनकर...
जब भी ख़ुद को अकेला पाता सफ़र में...
तुम साथ रहोगी मेरी परछाईं बनकर...

ये देख जमाना भी आज जल जाएगा...
तेरे इश्क़ में आज एक किताब लिखा जाएगा...
एक एक पन्ने पे बस ज़िक्र तेरा ही होगा...
सोच मोहब्बत में तेरे एक इतिहास लिखा जाएगा...


आशीष गुप्ता....

Sunday, 9 August 2020

मोहब्बत...

ये देख जमाना भी आज जल जाएगा...
तेरे इश्क़ में आज एक किताब लिखा जाएगा...
एक एक पन्ने पे बस ज़िक्र तेरा ही होगा...
सोच मोहब्बत में तेरे एक इतिहास लिखा जाएगा...

आशीष गुप्ता

Friday, 7 August 2020

मेरी जिंदगी है अधूरी...आज तू पूरी कर दें...


एक अधूरी ख्वाहिश है मेरी...आज तू इसे पूरी कर दें ...

मेरी ज़िन्दगी अधूरी है तेरे बिन...इस ज़िन्दगी को तू पूरी कर कर दें...

मैं भीग जाऊं तेरे इश्क़ में कुछ इस कदर...तू इतना प्यार कि बरसात कर दें...
तू मुझको ख़ुद में समा ले...और मुझे अपने इश्क़ में फना कर दें...

मेरी ज़िन्दगी है अधूरी तेरे बिन...इस ज़िन्दगी को तू आज पूरी कर कर दें...

मैं राह में खड़ा तेरा इंतज़ार करूं...  ख़ुद से भी ज्यादा तुझको जी भर के प्यार करूं...
मेरे हाथों में तेरा हाथ रहे...ज़िन्दगी के सफ़र में दो चार पल का साथ रहे...


मेरी ज़िन्दगी में तू जो आयी.... एक नई रोशनी है लाई...
पलकों पे मुझको जो बैठाया...मेरी आंख देख ये भर आयी...


मैं मांगू उस रब से आज बस एक ही दुआ...तेरी हर दुआ वो आज पूरी कर दें...

मेरी ज़िन्दगी है अधूरी तेरे बिन...इस ज़िन्दगी को तू आज पूरी कर कर दें...
तू मुझको ख़ुद में समा ले...और मुझे अपने इश्क़ में फना कर दें...


आशीष गुप्ता...

फना हो जाऊं....

काश मै बारिश की बूंद ही होता तुझे भिगोता और ख़ुद ही भीग जाता...
तुम्हारे होंठों को छूता और तेरे इश्क़ में फनाह हो जाता....

आशीष गुप्ता...

मोहब्बत की बरसात...

सोचते सोचते आज सुबह से शाम हो गई...
ख़्वाबों में तुमसे आज थोड़ी सी मुलाक़ात हो गई
मेरे जिश्म में तेरे जिश्म कि ख़ुशबू घुली कुछ इस कदर...
हम भीगते रहे और मोहब्बत की बरसात हो गई...

आशीष गुप्ता...

Wednesday, 5 August 2020

हम बेपरवाह हैं....

हम बेपरवाह हैं... खुद की परवाह नहीं करते...
हम तो शरीफ़ हैं...बेवजह किसी को परेशान नहीं करते...
कभी भी आज़मा लेना मेरी शराफ़त को तुम...भरी बाज़ार में...
हम ख़ुद ही लुट जातें हैं लेकिन...किसी को बदनाम नहीं करतें...

आशीष गुप्ता...

Tuesday, 4 August 2020

हम...

हम वो रेत नहीं जिसे हर कोई मुठ्ठी में कैद कर सके....
हम तो वो आग का दरिया हैं जो पर्वत को भी पिघला देते हैं...


आशीष गुप्ता...

एक अधूरी ख्वाहिश....

एक अधूरी ख्वाहिश है मेरी... आज तू पूरी कर दें ...
मेरी ज़िन्दगी अधूरी है तेरे बिन...इस ज़िन्दगी को पूरी कर दें...
मैं भीग जाऊं तेरे इश्क़ में कुछ इस कदर...
तू मुझको ख़ुद में समा ले...और मुझे फना कर दें...

आशीष....

Sunday, 2 August 2020

दोस्ती...






दोस्त नाम तो सुना ही होगा हर किसी के जिंदगी का एक अहम पहलू है...जो हमें खुद से भी ज्यादा प्यारा होता है... अपनी ज़िन्दगी से भी ज्यादा...

दोस्त भी कई प्रकार के होते हैं... अच्छे भी... बुरे भी...हमारा भी ऐसे ही कई दोस्तों से पाला पड़ा है...
लेकिन हमारे साथ एक इत्तफाक है...हम दोस्त ही कम बनाते हैं...और जिसे बनाते भी हैं... ज़िन्दगी भर साथ भी निभाते हैं...

ज़िन्दगी में दोस्त ना हो तो ज़िन्दगी भी अधूरी सी लगती है... हसनां, रूठना, मनाना, एक दूसरे का साथ निभाना, चाहे बुरे वक़्त हो या खुशी के पल... हर बात को कहने सुनने के लिए एक अच्छा दोस्त होना बहुत ही जरूरी होता है...

 प्यार, इश्क़, मोहब्बत से भी ज्यादा दोस्ती का नशा होता है...जो एक बार लग जाए तो उतरने का नाम ही नहीं लेता...

वो कहते हैं ना...

आजकल दोस्ती भी कुछ तुमसे इस कदर सी हो गई है...
ज़िन्दगी के सफ़र में जैसे हमसफ़र सी हो गई है...

और बात अगर दोस्ती की हो तो (अंकित सक्सेना) का नाम ना आए तो समझो... दोस्ती शब्द ही अधूरा अधूरा सा लगता है...

जी हां...

अंकित सक्सेना जिनसे कुछ साल पहले ही मुलाक़ात हुई और फिर दोस्ती...और दोस्ती ऐसी की जैसे बादल बरसात के बिना अधूरा है...समंदर किनारे के बिना अधूरा है...वैसे ही हमारी दोस्ती भी अंकित के बिना ही अधूरी थी...

आज से 10 साल पहले...

मैं आगरा के जिनवाणी चैनल में काम कर रहा था...मुझे अकेला रहना बहुत ही ज्यादा पसंद है...किराए के कमरे में भी अकेला ही रहता था... रूम कभी शेयर नहीं किया किसी के साथ...ऑफिस में सब मुझे बहुत मानते थे... काम भी मेरा अच्छा था... लोगों का भरोसा भी मुझपर ज्यादा ही था...

कुछ दिन बाद ऑफिस के ही काम से रिकॉर्डिंग कमरे में जाता हूं...वहां मुझे नया बंदा दिखा...

मैंने उससे पूछा...भाई New Joining
उसने कहा... हां भाई आज ही आया हूं
मैंने कहा...बढ़िया भाई

फिर मैं अपना काम कर के निकल जाता हूं...

लड़का अच्छा था... स्मार्ट भी...हम तो देसी लुक वाले... कहां वो Good looking... बड़े बड़े बाल...कॉन्फिडेंट... मैं तो उसके सामने pure desi....

एक दो दिन बाद कुछ प्रोमो चल रहा था... लाइव चैनल पे...अचानक से सर बाहर आते हैं और बोलते हैं...

अरे ये प्रोमो किसने बनाया... उसका music sound effect  ये किसने किया...
किसी ने कहा सर वो अंदर जो नया वाला लड़का है उसने बनाया है...

सर ने कहा...अरे, बहुत अच्छा बनाया है... पहली बार यहां इतना अच्छा काम देखा हूं....कहां है वो लड़का... उसको बुलाओ जरा...

वो लड़का आता है डरते डरते... सोचता है कि क्या हो गया... अचानक से मुझे क्यों बुला लिया....

सर... तुम्हारा नाम क्या है
लड़का...सर अंकित सक्सेना
सर....ये प्रोमो तुमने बनाया है
अंकित... हां सर
सर... तुमने बहुत अच्छा काम किया बेटा... पहली बार लगा कि यहां कोई अच्छा काम किया है...अंकित के लिए तो ताली बजनी ही चाहिए...

पूरे ऑफिस ने ज़ोर ज़ोर से ताली बजाया और सर ने अंकित को शाबासी भी दिया...

अच्छा लगा ये देख कर की कोई अच्छा काम करता है तो उसे appreciate तो मिलना ही चाहिए....

दूसरे दिन ऑफिस में...

मेरे दोस्त ने कहां की अंकित वहीं लड़का जिसके लिए कल हम सब ताली बजाए थे... वो लड़का काफी परेशान है... बहुत दूर से आता है... कहीं रूम नहीं मिल रहा उसे..और रोज़ आने जाने में बहुत पैसे खर्च हो जाते हैं उसके...

मैंने कहा...ठीक है देखता हूं...

अपने ही काम से रिकॉर्डिंग कमरे में गया और ऐसे ही बात करने लगा...

मैंने कहा...भाई तुम्हारा काम बहुत अच्छा है...लोगों को बहुत पसंद आया...
अंकित... thanku भाई
मैंने पूछा... पहले कहां काम करते थे...
अंकित...मुंबई में Production house 
मैंने पूछा... और क्या क्या करते हो
अंकित... गाना गा लेता हूं... lyrics gingles और  music का कोई भी काम भाई

मैंने कहा... वाह भाई बहुत सारे टैलेंट है यार तुम्हारे में तो...
यहां क्यों चले आए मुंबई से... वहां अच्छा था तुम्हारे लिए.... यहां तो इतनी सैलेरी भी नहीं देंगे यार...

अंकित... हां भाई बस थोड़ी मजबूरी है... क्या करें... नहीं तो मुंबई छोड़कर क्यों आता...

मैंने पूछा...कमरे नहीं मिल रहे तुम्हें
अंकित... नहीं भाई

मैंने कहा... अच्छा...तुम्हें कोई प्रॉब्लम ना हो तो हमारे साथ रह सकते हो... वैसे मैं अकेला ही रहता हूं...
अंकित... ठीक भाई...thanku so much भईया

उसके चेहरे पे एक अलग ही खुशी थी उस समय...

मैंने कहा...ठीक है कल सुबह चलते हैं रूम पे... तुम देख भी लेना...
अंकित...ठीक भाई

मुझे बात करने में अंकित बहुत ही सीधा लगा...उससे बात कर के मुझे ऐसा लगा कि हम पहले भी कभी मिल चुके हैं... प्यार से बात करना... respect करना...बहुत सारी खूबियां थी उसमें...गाना भी सुनाया... गाना सुनकर तो वाकई मैं खो सा गया...इतना जबरदस्त आवाज़ की कोई भी सुन ले तो पागल हो जाए...

मेरे दिमाग में तो बस यही चल रहा था कि इतना टैलेंट होते हुए ये यहां क्यों चला आया...पर जो भी था... अंकित से मिलकर कुछ अपनापन सा लगा...


हम उसे रूम दिखाते हैं... रूम छोटा सा था लेकिन दो लोगों के लिए पर्याप्त था...उसे भी अच्छा लगा...हम लोग आराम करने के बाद ऑफिस चले गए....

दूसरे दिन मकान मालिक को पता चला कि मेरे साथ कोई दूसरा शिफ्ट हो गया है... उनको ये बात गवारा नहीं...मुझे बुला लिया बात करने के लिए....

मकान मालिक... आशीष तुमने मुझे बताए बिना ही किसी को अपने साथ रख लिया

मैंने कहा... अच्छा लड़का है साथ में ही काम करता है...परेशान था... तो साथ में रख लिया...

मकान मालिक... लेकिन मुझसे पूछना तो चाहिए ना...
कहा रहता है... कुछ मालूम है... उसके पापा का नाम... उसका पता घर का... कुछ पता किया...

मैंने कहा... नहीं

मकान मालिक... फिर तो तुम बेवकूफ़ निकले ना... अंजान लड़कें को अपने साथ रख कर... कल को वो तुम्हारा मर्डर कर के चला जाए तो क्या होगा...

मैंने सोचा...अरे बाप रे कितना हटी आदमी है यार... इतना कौन सोचता है... इसके दिमाग में कूड़ा भरा है क्या लगता है...

मैंने कहा...भैया आप कुछ दिन देख लेना... अगर सही ना लगे तो आप मुझे भी निकाल देना...

उन्होंने कहा... ठीक है

फिर मैं चला गया...

अंकित ऊपर परेशान हालत में घूम रहा था... की क्या हो गया... क्यों बुला लिया है भैया को...कहीं मेरी वज़ह से इन्हें ना कोई तकलीफ़ हो जाए...
 मैं गया ऊपर और अंकित से बात किया...कुछ नहीं सब ठीक है...वो पागल आदमी है...

काफी दिन बीत गया... धीरे धीरे हम दोनों एक दूसरे को अच्छे से जान गए.. और पूरा ऑफिस हम दोनों की दोस्ती से भी वाक़िफ हो गया...हम दोनों में बहुत सारी चीज़े समान थी ...हम लोग खूब मस्ती करते थे... घूमना... फिरना सबकुछ काफी अच्छी बॉन्डिंग हो गई थी...

हम दोनों अपनी लाइफ की हर बातें शेयर करते थे...
उसने अपनी ज़िन्दगी की सारी कहानी बता दी मुझे...तब मुझे एहसास हुआ कि हमने तो ज़िन्दगी में कुछ किया ही नहीं है... जितना अंकित ने अपनी ज़िन्दगी में सहा है...बहुत ऊपर जाकर बंदा नीचे से फिर से शुरुआत कर रहा है अपनी कैरियर का...

कुछ परेशानियां उसके साथ तो ऐसी आ गई थी जहां उसे वाकई दोस्त की ज़रूरत थी... लेकिन उस समय भी उसके दोस्तों ने उसका साथ छोड़ दिया था...तब से उसे दोस्ती से भी भरोसा उठ गया था...जब तक अंकित के पास पैसे थे... शोहरत थे...तो बहुत सारे दोस्त उसके साथ थे...थोड़ी सी परेशानी आने पे सारे दोस्त बिखर गए...कितने मुश्किल झेलने के बाद वो मुंबई छोड़कर आगरा रहने अाया था...नहीं तो मुंबई जैसा शहर कौन छोड़ता है...

मुझे तो उससे और भी ज्यादा हमदर्दी हो गई... बन्दे में दम है...2010 में 50 हजार की जॉब छोड़कर 7 हजार की जॉब करना... ज़िन्दगी में ज़रूर जंग जीतने के बराबर है..इतने में तो इंसान टूट जाता है...हार मान लेता है...लेकिन अंकित में जज्बा था... हर परिस्थिती में खुद को साबित करना...और वो चीज़ आज तक किसी में मैंने नहीं देखा...

वो कहते हैं ना...

जमाने को आजमाऊंगा... लेकिन हार नहीं मानूंगा...
तूफ़ानों से लड़ जाऊंगा... लेकिन हार नहीं मानूंगा...
हो कितनी भी तकलीफें... इस दर्द भरी ज़िन्दगी में...
हर ज़ख़्म को सह जाऊंगा... लेकिन हार नहीं मानूंगा...

एक दिन अचानक मेरी तबियत ख़राब हो गई थी.. काफी तेज बुखार आ गया था...अंकित तुरंत ऑफिस छोड़कर मेरे पास आया और दवा वगेरह देकर मेरे सर दबाने लगा..सर पे पट्टी भी करने लगा...मैनें कहा ऑफिस जाओ मैं ठीक हो जाऊंगा...वो सुने ही ना... ऑफिस फोन कर दिया मैं नहीं आ सकता कुछ काम है...

वो मेरे साथ पूरा दिन...पूरी रात... बस मेरा ख्याल रखने में ही निकाल दिया...रात भर अपनी गोद में मुझे सुलाता रहा... मैं बहुत ही ज्यादा किस्मत वाला था कि अंकित जैसा दोस्त मिला...जो भाई से भी बढ़कर मुझे प्यार किया...मुझे अपने हाथ से खाना खिलाता... मेरे पैर भी दबाता... मेरे कपड़े तक धुलता...इतना प्यार कहां कोई करता है...

ज़िन्दगी सफल हो गई थी उसके जैसा दोस्त मिलने से...मेरे साथ हर परिस्थिती में साथ रहा... चाहे बुरे वक़्त हो या खुशी के पल...कभी मुझे अकेला नहीं रहने दिया... एक परछाईं की तरह हमेशा मेरे साथ रहा... ऐसे दोस्त मिलना बड़े नसीब की बात होती है...

मै थोड़ा बीच में आशिक़ी में भी पड़ गया था.. और बहुत ही ज्यादा डिप्रैशन में चला गया था... ख़ुद को संभालना बड़ा मुश्किल हो गया था....लेकिन उस समय अंकित ही मेरा सहारा बना और बहुत motivate किया मुझे... बहुत समझाया मुझे...उस दलदल से बाहर निकाला जहां अगर वो साथ ना होता तो आशिक़ी के चक्कर में मैं ख़ुद को ही डुबो जाता...ज़िन्दगी ही ख़त्म कर देता...शायद...
उसका साथ मेरे ज़िन्दगी के लिए एक नया जीवनदान था...

वो कहते हैं ना...
आज रब से दुआ करता हूं कि तू ऐसे ही मेरे साथ रहे...
लू अगर अगला जन्म तो... तू दोस्त बनकर मेरे साथ रहे...

बड़ी अच्छी ज़िन्दगी चल रही थी हमसब की...दो साल बीतने के बाद मैंने जॉब छोड़ दिया नोएडा में शिफ्ट होना था...अब समय आ गया था अलग होने का...दो तीन दिन हम ख़ूब मस्ती किए... घूमना, हसी, मज़ाक वो गाना भी गए और हम सुने भी...थोड़ा इमोशनल दिन था... क्योंकि हमें अब अलग होना था... पता नहीं दोबारा मिल भी पाते की नहीं... इसलिए अपनी यादों को यादों के बॉक्स में हमेशा के लिए समेट कर रखना चाहते थे...

जाते वक़्त हम दोनों बहुत रोए थे...गले मिलकर...लड़के बहुत कम रोते हैं... लेकिन ये दोस्ती की मोहब्बत है जनाब आंसू आ ही जाते हैं...अंकित से बिछड़ना ऐसा लगा कि खुद से ही दूर जा रहा हूं... बस दिल में यही उम्मीद थी कि हमारी दोस्ती हमेशा ऐसे ही बरकरार रहे हमेशा की लिए...प्यार कभी कम ना...कभी भी मिले तो पुराने अंदाज में ही मिले...

मैं नोएडा में शिफ्ट हो गया...

दो साल बीतने के बाद अंकित ने भी जॉब छोड़ दी...मेरे से बात होती है... मैं अपने पास बुला लेता हूं...मुझे बड़ी खुशी हुई थी कि इतने दिन बाद हम फिर से मिल गए बड़ा अच्छा लगा उस समय...

अब यहां अंकित नए जॉब की तलाश करता है लेकिन कोई जॉब मिल नहीं पा रही थी...वो भी परेशान था.. किसी को बताया भी नहीं था कि जॉब छोड़ दिया है... घर पर भी नहीं...तीन चार महीने तो उसने ऐसे ही बिता दिए...अब तो पैसे भी खत्म हो गए थे उसके पास...

हालांकि हम लोग साथ ही रहते थे लेकिन जॉब ना हो तो इंसान कितना दिन खाली हाथ बैठ सकता है...मैंने भी उसे कभी महसूस नहीं होने दिया कि तू अकेला है...और हमेशा उसके साथ ही रहा...6 महीने बीत गए ऐसे ही लेकिन कोई जॉब नहीं मिली...मैंने भी बहुत कोशिश की लेकिन कहीं हो ही नहीं पा रहा था...

उसने अपना singing स्टार्ट किया और music पर पूरा ध्यान दिया फिर...खूब प्रेक्टिस करता...

बिना जॉब के जिम्मेदारी का बोझ इंसान कब तक उठाता...घर पर भी उसे पैसे भेजने होते थे... लेकिन अब क्या करता...

मैं तो रोज भगवान से यही दुआ करता कहीं भी उसकी नौकरी लग जाए बस...उसकी परेशानी हमसे देखी नहीं का रही थी...टूट गया था बंदा...दर्द होता है जब इंसान के पास इतना टैलेंट हो और उस टैलेंट की कोई कदर ना हो...

बड़ी ही मुश्किल हालात में उसने समय काटा है...कभी कभी तो खाना भी नहीं खाता... मैं खूब डाट ता... मैं हमेशा कहता... मैं तेरे साथ हूं... कभी अकेला मत समझना खुद को...आज बुरे दिन है तो कल अच्छे दिन भी आएंगे मेरे भाई...

वो कहते  है ना...
तेरे नाम के चर्चे हर शहर भी देखेगा...
तेरी कामयाबी की उड़ान एक दिन वो आसमां भी देखेगा...
तेरी शख्सियत, तेरी पहचान, सबके लिए एक मिशाल बन जाएगी...
देखना वो दिन भी आएगा मेरे दोस्त...
जब तुझे सारा हिन्दुस्तान देखेगा...

मैंने उसे हिम्मत दिया और समझाया... ज़िन्दगी एक रेस है भाई... इस रेस में हार जीत तो लगा ही रहता है...तुम्हारे अंदर जो जज़्बा है... जो हिम्मत है... उस जोश के साथ जिस दिन तू मैदान में उतर गया ना... वहां तुम्हें हराने वाला कोई नहीं होगा...उस रेस के असली खिलाड़ी तुम ही होगे...

उसने भी खुद को समझाया और फिर से कोशिश किया जॉब के लिए...लेकिन इस बार अंदाज अलग था...

कुछ दिन बाद मेरे पास आता है... और कहता है... भाई मेरी जॉब लग गई... बहुत ही अच्छी कम्पनी में...
मेरे दिल में तो खुशी का ठिकाना ही नहीं था...फूले नहीं समा रहा था...उसके चेहरे की खुशी देख कर मुझे जो सुकून मिला...पूछो ही मत....

और सैलरी पैकेज भी बहुत हाई था...ये उसकी मेहनत का कमाल था... उसकी लगन का...नहीं तो ऐसे में इंसान तो खुद से ही हार मान लेता...लेकिन उसने कभी हारना सीखा ही नहीं...

वो कहते हैं ना...

सफ़र थोड़ा लम्बा है... 
मगर ख्वाहिशें अभी बाकी है...
अभी तो समंदर सी लहरें उठी हैं मेरे अंदर... 
अभी तो ख़ुद को थोड़ा मशहूर करना बाकी है...
जब कदम बढ़ा दिया है मंजिल की तरफ... 
तो ये नहीं सोचना की जाना कितना दूर है...
अब तो बस एक ही जिद्द है मेरी...
इस खुले आसमान में...
ज़िन्दगी जीने के उड़ान अभी बाकी है....


आज अंकित काम पूरे शहर में बोलता है... हर कोई अंकित के काम का दीवाना है...

चाहे यूपी हो या मुंबई...

अब वो लड़का काफ़ी फेमस हो चुका है...लेकिन हमारी दोस्ती आज भी मोहब्बत से भरी पड़ी है...हम दोनों आज बहुत आगे निकल गए है ज़िन्दगी के इस रेस में...हमारी लाइफ स्टाइल भी काफ़ी change हो गई है...

बहुत बड़ी बड़ी समस्याएं अाई हमारे बीच... लेकिन अगर
हम साथ होते हैं तो समस्या भी हमसे दूर भागती है...बहुत लोगों ने हमें हराना चाहा... झूकाना चाहा...
लेकिन कहते हैं ना...
जब हम साथ होते हैं तो... सामने वाला ही हार जाता है...और जीत हमारी ही होती है...

आशीष और अंकित की दोस्ती किसी के प्यार की मोहताज नहीं...
हमारी दोस्ती में इतनी मोहब्बत है कि मोहब्बत को भी मोहब्बत का एहसास हो जाए...

एक दिन...
किसी ने मुझसे कहा दोस्ती पे तुम कितना लिख सकते हो...
मैंने कहा मुझे लिखने कि क्या जरूरत बस अंकित नाम ही काफ़ी है....

आज भी हम साथ हैं हमेशा साथ रहेंगे...
Miss u & love u भाई 

हर ख़्वाब हक़ीक़त हो जाए ...ये जरूरी तो नहीं... हर मोहब्बत पूरी हो जाए ...ये जरूरी तो नहीं... हम तुम्हें पसंद करतें हैं ...ये और बात है... त...