जब भी तन्हा होता हूं तो कुछ लिख लेता हूं...
अपने दुख-दर्द या हसीं मज़ाक को शब्दों से बांध लेता हूं...
जनता हूं तुम अक्सर छोड़ जाती हो साथ मेरा...
पर जब भी अकेला होता हूं तो खुद को ही पढ़ लेता हूं ...
आशीष...
अपने दुख-दर्द या हसीं मज़ाक को शब्दों से बांध लेता हूं...
जनता हूं तुम अक्सर छोड़ जाती हो साथ मेरा...
पर जब भी अकेला होता हूं तो खुद को ही पढ़ लेता हूं ...
आशीष...