तुम जब होती हो पास मेरे, तो रातें छोटी हो जाती है...
आंखों में होती है नींद मगर, वो नींद भी पूरी हो जाती है...
तुमने जो पकड़ा हाथ मेरा, तो सांसे भी थोड़ी थम जाती है...
तुम्हारे साथ गर खामोश रहूं तो, बातें भी पूरी हो जाती है...
जब जब लेता हूं नाम तेरा, तो धड़कन मेरी बढ़ जाती है...
सुबह सुबह जब खुद को देखूं, तस्वीर तुम्हारी दिख जाती है...
आती है जब याद तुम्हारी, आंखें भी थोड़ी नम हो जाती है....
चेहरे पे होती है मुस्कान मगर, वो मुस्कान अधूरी रह जाती है...
तेरे साथ गर खामोश रहूं तो, बातें भी पूरी हो जाती है...
रात के साएं में जब भी वो, चांद अकेला दिखता है...
गौर से देखूं उसमें भी, वो प्यार मुखड़ा दिखता है...
फिर बजली चमके, बादल गरजे, बरसात भी थोड़ी हो जाती है...
तेरे साथ गर खामोश रहुं तो, बातें भी पूरी हो जाती है...
आशीष गुप्ता...