हमने तो इश्क़ का नाम ही ना सुना था...
तुम जो मिले तो ज़िन्दगी मोहब्बत सी हो गयी...
अज़नबी थे प्यार, इश्क़ और मोहब्बत के नाम से भी...
तुम जो आये तो रातोँ की नींद भी कहीं खो सी गयी...
सरीफ़ तो हम भी थे दुनिया के इस सराफत के बाज़ार में...
तुमने जो निगाहों से वॉर किया बदनाम हम भी हो गए...
क्या फर्क पड़ता है गर मेरे नाम के आगे तेरा नाम जुड़ जाये...
कुछ पल के लिए ही सही मसहूर तुम भी और मसहूर हम भी हो गए...
आशीष गुप्ता
तुम जो मिले तो ज़िन्दगी मोहब्बत सी हो गयी...
अज़नबी थे प्यार, इश्क़ और मोहब्बत के नाम से भी...
तुम जो आये तो रातोँ की नींद भी कहीं खो सी गयी...
सरीफ़ तो हम भी थे दुनिया के इस सराफत के बाज़ार में...
तुमने जो निगाहों से वॉर किया बदनाम हम भी हो गए...
क्या फर्क पड़ता है गर मेरे नाम के आगे तेरा नाम जुड़ जाये...
कुछ पल के लिए ही सही मसहूर तुम भी और मसहूर हम भी हो गए...
आशीष गुप्ता